नई दिल्ली : हिमाचल प्रदेश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान भूस्खलन, बादल फटने और अचानक बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता को देखते हुए, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने एक बहु-क्षेत्रीय केंद्रीय विशेषज्ञ टीम के गठन का निर्देश दिया है। इस टीम में NDMA, CBRI रुड़की, IITM पुणे, IIT इंदौर और विभिन्न भूवैज्ञानिक संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
आपदाओं के व्यापक प्रभाव को लेकर केंद्र गंभीर
अमित शाह की अध्यक्षता में हुई एक समीक्षा बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि हिमाचल प्रदेश में हाल के वर्षों में आपदाओं की तीव्रता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इससे जनजीवन, बुनियादी ढांचे, आजीविका और पर्यावरण को गहरा नुकसान पहुंचा है। ऐसे में राज्य की भौगोलिक और पर्यावरणीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय स्तर पर समन्वित वैज्ञानिक आकलन आवश्यक है।
बिना राज्य अनुरोध के भेजी गई अंतर-मंत्रालयी टीम
विशेष बात यह रही कि केंद्र सरकार ने हिमाचल सरकार के ज्ञापन की प्रतीक्षा किए बिना ही अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (IMCT) को 18 जुलाई से 21 जुलाई तक राज्य के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए भेज दिया है। यह दल मौके पर जाकर नुकसान का प्रत्यक्ष मूल्यांकन करेगा और त्वरित सहायता सुनिश्चित करेगा।
2023 आपदाओं के लिए भी मिल चुकी है केंद्रीय मंज़ूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 की आपदाओं से हुए नुकसान के लिए भी हिमाचल प्रदेश को ₹2006.40 करोड़ के विशेष राहत पैकेज को मंज़ूरी दी थी। इसकी पहली किस्त ₹451.44 करोड़ की राशि 7 जुलाई 2025 को जारी की जा चुकी है।
SDRF व NDRF की व्यापक सहायता
राज्य में राहत कार्यों को बल देने के लिए केंद्र सरकार ने 18 जून 2025 को SDRF के तहत ₹198.80 करोड़ की केंद्रीय हिस्सेदारी की पहली किस्त भी हिमाचल प्रदेश को जारी कर दी थी। इसके अलावा, बचाव और राहत अभियानों में सहायता के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की कुल 13 टीमें राज्य में तैनात हैं। आवश्यकता पड़ने पर सेना और वायुसेना की टीमें तथा अन्य लॉजिस्टिक सहायता भी सक्रिय रूप से दी जा रही है।
राज्य के साथ बिना भेदभाव केंद्र खड़ा है: शाह
केंद्रीय गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार हर आपदा की घड़ी में सभी राज्यों के साथ खड़ी है, और किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता। उन्होंने कहा, “हिमाचल की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दीर्घकालीन समाधान की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।”