बस्ती के कब्रिस्तान में महिला को दफनाने पर उठा विवाद, मुस्लिम समुदाय और राजस्व विभाग आया आमने सामने, तनाव बढ़ता देख पुलिस ने संभाला मोर्चा

Datia News : दतिया। मुस्लिम समाज के सांई समुदाय की एक महिला की मौत के बाद उसे दफनाने में स्वजन को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। नगर के बीचों बीच बने सांई की तकिया नामक कब्रिस्तान में जब मृतक महिला शहजादी शाह को सुपुर्दे खाक करने के लिए उसका बेटा मोहम्मद शाह अन्य लोगों के साथ गुरुवार सुबह गड्डा खोदने पहुंचा तो वहां आसपास रहने वाले लोग आ गए। जिन्होंने उस स्थान पर महिला को दफनाने का विरोध किया।

कुछ समय बाद ही वहां मुस्लिम और हिंदू समुदाय के लोगों की भीड़ जमा हो गई। मौके पर िस्थति तनावपूर्ण होने की सूचना मिलते ही तहसीलदार और थाना प्रभारी पहुंच गए।

मामले को देखते हुए आसपास के 6 थानों की पुलिस भी बुला ली गई। एक तरफ जहां सांई समाज के लोग उस भूमि को समाज का कब्रिस्तान बता रहे थे, वहीं राजस्व अधिकारी उसी जमीन को सरकारी चरनोई की होने का दावा कर रहे थे।

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इसी बात को लेकर मामला तूल पकड़ गया। काफी समझाइश के बाद मृतका का शव मुस्लिम समाज के दूसरे कब्रिस्तान में दफना दिया गया।

इस मामले में मृतका के बेटे मोहम्मद शाह का कहना था कि सर्वे नम्बर 1567 कब्रिस्तान है राजस्व विभाग के पटवारी ने इसकी कैफियत बदली है। पुरानी नोइयत में मजार और चबूतरा दर्ज है। बाद में हटा दिया गया है।

पूरी गलती राजस्व विभाग की है। हमारे पास पर्याप्त सबूत और कागजात है कि उक्त भूमि कब्रिस्तान है, मामले को उच्च न्यायालय ले जाएंगे।

वहीं तहसीलदार सुनील भदौरिया का कहना था कि जिस भूमि पर कब्रिस्तान बताकर मुस्लिम समुदाय के लोग कब्र बनना चाहते हैं वो भूमि राजस्व अभिलेख में चरनोई के रूप मे दर्ज है ना कि कब्रिस्तान।

शासकीय भूमि पर कब्र बनाने की परमीशन कतई नहीं दी जा सकती है। कानून से ऊपर कोई नहीं, किसी भी सूरत मे सामाजिक सौहार्द बिगड़ने नहीं दिया जाएगा।

विवाद का यह रहा कारण

मुस्लिम समाज जिस सर्वे नंबर 1567 एकड़ 0-44 बीघा 1/2 की भूमि को कब्रिस्तान बता रहा था उसे राजस्व विभाग ने चरनोई की जमीन बताया। खसरा में भी वर्तमान समय में यह जमीन चरनोई की ही दर्ज है। मुस्लिम समाज के लोगों के मुताबिक वर्ष 1994 में दर्ज खसरा में मप्र शासन नजूल कैफियत में इस भूमि पर कुआं, मजार, चबूतरा, शीशम और नीम का पेड़ दर्ज थे।

मुस्लिम समाज इस भूमि का उपयोग कब्रिस्तान के रूप में वर्षों से करता रहा है। नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 3 में स्थित इस भूमि को मुस्लिम समुदाय सांई की तकिया के नाम से कब्रिस्तान होना बता रहा है।

मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि उनके पूर्वज यही दफनाए गए थे। प्रतीक स्वरूप उनके स्वजनों के मकबरे आज भी बने है। कब्रिस्तान होने के सबूत भी पर्याप्त हैं, फिर आज क्यों उन्हें दफनाने से रोका जा रहा है। वहीं दूसरी ओर राजस्व विभाग और तहसीलदार इस भूमि को चरनोई की दर्ज होने के कारण वहां कब्र बनाने से रोक रहे थे।

शव को दफनाने के लिए 12 घंटे बाद मिली जगह

मुस्लिम महिला शहजादी शाह की गुरुवार अल सुबह करीब 3-4 बजे मृत्यु हो जाने पर दिन निकलते ही उसका बेटा मोहम्मद शाह कब्रिस्तान में गड्डा खोदने पहुंचा था। इसी दौरान वहां महिला को दफनाने को लेकर खोद जा रहे गड्डे पर विवाद छिड़ गया। काफी बहस के बाद जब बात सुलझी तो तय हुआ कि मृतका को मुस्लिम समाज के वार्ड 10 में बने बड़े कब्रिस्तान में दफनाया जाए।

समझाइश के बाद मृतका के स्वजन मान गए और मुस्लिम समाज के कब्रिस्तान में दफनाने को राजी हो गए। बताया जाता है कि जब उक्त लोग कब्रिस्तान में पहुंचे तो वहां भी मुस्लिम समाज के कुछ लोग उनसे अपने समाज के कब्रिस्तान में ही दफनाने की प्रक्रिया पूरा करने को लेकर दबाब बनाने लगे।

काफी जद्दोजहद के बाद महिला को वहां दफनाया जा सका। इस तरह करीब 12 घंटे बाद मृतका को दो गज जमीन नसीब हो सकी। इससे पहले भी इंदरगढ़ में ही एक ईसाई परिवार में मौत हो जाने पर उसके दफनाने पर भी यही मामला उठा था।

बता दें कि इंदरगढ़ में मात्र तीन ईसाई परिवार है और उनका कोई कब्रिस्तान भी नहीं है। तब वह परिवार भी शव को लेकर भटकता फिरा था। फिर लांच में सिंध नदी के समीप इस ईसाई परिवार ने शव को दफन किया था।

आधा दर्जन थानों की पुलिस रही तैनात

गुरुवार सुबह इंदरगढ़ में इस मामले को लेकर तनाव की िस्थति को देखते हुए पुलिस बल की व्यवस्था कराई गई। इंदरगढ़ सहित थरेट, भगुआपुरा, लांच, धीरपुरा, अतरेटा एवं डीपार से अतिरिक्त पुलिस बल बुला लिया गया। देखते ही देखते काफी संख्या में पुलिस जवान वहां मौजूद हो गए।

इस दौरान कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया, ऐसे लोगों को पुलिस ने सख्ती से भगा दिया। प्रशासन और मुस्लिम समाज की सूझबूझ से नगर मे साम्प्रदायिक सौहार्द का वातावरण बना रहा ।

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