नई दिल्ली : भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के बीच हुआ व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (टीईपीए) 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी हो गया है। यह समझौता भारत के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए 15 वर्षों में 100 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश और 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजन का लक्ष्य निर्धारित करता है। उल्लेखनीय है कि यह भारत का पहला ऐसा मुक्त व्यापार समझौता है जिसमें निवेश और रोजगार पर बाध्यकारी संकल्प शामिल किया गया है।
कौन हैं ईएफटीए देश? : ईएफटीए (EFTA) में स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टाइन शामिल हैं — यूरोप के चार विकसित देश जिन्होंने भारत के साथ एक संतुलित और भविष्यवादी आर्थिक सहयोग की नींव रखी है। यह समझौता भारत को यूरोप के तीन प्रमुख आर्थिक समूहों में से एक के साथ औपचारिक व्यापारिक साझेदारी में जोड़ता है।
निवेश और रोजगार की बड़ी संभावना : टीईपीए के तहत, ईएफटीए देश पहले 10 वर्षों में भारत में 50 अरब डॉलर और अगले 5 वर्षों में अतिरिक्त 50 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) करेंगे। यह निवेश विनिर्माण, अनुसंधान, नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटल क्षेत्रों में किया जाएगा। इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि भारत की “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” योजनाओं को भी बल मिलेगा।
कृषि, सेवा और उद्योग को नया बाजार : समझौते के तहत भारतीय निर्यात की 99% वस्तुओं को ईएफटीए देशों में शुल्क-मुक्त या रियायती पहुँच मिलेगी।
डेयरी, कोयला और कृषि जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को सुरक्षा दी गई है। सेवाओं के क्षेत्र में, भारत के IT, शिक्षा, अकाउंटेंसी और नर्सिंग पेशेवरों को यूरोपीय बाजार में बेहतर अवसर मिलेंगे।
आर्थिक प्रगति का नया द्वार : भारत और ईएफटीए के बीच यह समझौता केवल व्यापार तक सीमित नहीं, बल्कि विश्वास, नवाचार और संवहनीय विकास का प्रतीक है। यह भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भूमिका को मज़बूत करेगा और यूरोप के साथ रणनीतिक साझेदारी को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।


