Datia News : दतिया। शुक्रवार को ग्राम कुम्हेड़ी से आई प्रसूता की अस्पताल के गेट पर ही डिलीवरी हो गई। प्रसूता अपने स्वजन के साथ आटो से अस्पताल पहुंची थी। जहां मेटरनिटी वार्ड में जाते समय गेट पर ही उसे प्रसव हो गया। इस दौरान उसने दो जुडवां बच्चियों को जन्म दिया। प्रसव के बाद भी अस्पताल का स्टाफ काफी देर बाद प्रसूता के पास पहुंचा। जिसे स्वजन ही स्ट्रेचर से उठाकर वार्ड में शिफ्ट कराने ले गए।
बताया जाता है प्रसूता के साथ आई महिलाओं ने जब शोर मचाया तो एक सफाईकर्मी स्ट्रेचर लेकर गेट पर तो पहुंची, लेकिन उसने भी प्रसूता तथा नवजात जुडवां बच्चियाें को उठाने से मना कर दिया। कुछ देर तक प्रसूता प्रसव के बाद गेट पर लेटी रही। ऐसे में साथ आई महिलाएं कपड़े से ओट कर उसके आसपास खड़ी रही।
इसके बाद मामला गरमाता देख स्टाफ नर्स आई और स्वजन द्वारा जच्चा-बच्चा को अंदर पहुंचाया गया। अभी कुछ दिन पूर्व भी ऐसे ही एक प्रसूता की डिलीवरी अस्पताल के गेट पर हो गई थी। जिसमें भी अस्पताल स्टाफ पर अनदेखी के आरोप लगाए गए थे। लेकिन उसके बाद भी अस्पताल में प्रसूताओं की देखभाल को लेकर कतई सतर्कता नहीं बरती जा रही।
जानकारी के अनुसार ग्राम कुम्हेड़ी निवासी 35 वर्षीय ममता पत्नी संतोष रजक को शुक्रवार दोपहर प्रसव पीड़ा होने पर पड़ोस की दो महिलाएं और भतीजा आटो में बैठाकर गांव से जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड तक पहुंचने के लिए कोई स्ट्रेचर न मिलने के कारण महिला पैदल चलकर गेट पर पहुंची तभी उसे प्रसव हो गया।
इसके बाद उसने खुले परिसर में ही दो बच्चियों को जन्म दे दिया। परिसर में मौजूद अस्पताल के कर्मचारी यह सब देखकर भी मदद के लिए नहीं पहुंचे। गेट पर हुई डिलीवरी के बाद प्रसूता ममता के साथ आई महिलाएं वार्ड में दौड़कर डाक्टर को बुलाने के लिए पहुंची। लेकिन प्रसूता की पीड़ा जानने के बाद भी समय पर न तो डाक्टर मौके पर पहुंचे और न ही कोई नर्स आई।
ऐसी िस्थति में साथ आई महिलाएं प्रसूता के आसपास कपड़े की ओट करके खड़ी रही। जब कुछ देर बाद नर्स आई तब स्वजन की मदद से प्रसूता को वार्ड में शिफ्ट कराया गया।