नई दिल्ली : मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने भारतीय रेलवे की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से दो मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी है। ये परियोजनाएं मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के चार जिलों को जोड़ते हुए रेलवे नेटवर्क को 176 किलोमीटर तक विस्तार देंगी।
इन परियोजनाओं के अंतर्गत रतलाम-नागदा रेलखंड पर तीसरी और चौथी लाइन तथा वर्धा-बल्हारशाह रेलखंड पर चौथी लाइन का निर्माण शामिल है। कुल अनुमानित लागत लगभग 3,399 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है और इन्हें वर्ष 2029-30 तक पूरा किए जाने की योजना है।
इन योजनाओं के पूरा होने से करीब 784 गांवों की लगभग 19.74 लाख जनसंख्या को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। रेलवे के इन मार्गों पर कोयला, सीमेंट, क्लिंकर, कृषि उत्पाद, कंटेनर और पेट्रोलियम जैसी वस्तुओं का परिवहन अधिक प्रभावी ढंग से हो सकेगा, जिससे लगभग 18.40 मिलियन टन प्रति वर्ष की अतिरिक्त माल ढुलाई की क्षमता उपलब्ध होगी।
परियोजनाओं से रेल यात्रा की सुविधा तो बढ़ेगी ही, साथ ही लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी और तेल आयात पर निर्भरता घटेगी। अनुमान के अनुसार, इन योजनाओं से 20 करोड़ लीटर तक ईंधन की बचत और 99 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी संभव है, जिसे पर्यावरणीय दृष्टि से लगभग चार करोड़ पेड़ों के रोपण के बराबर माना जा रहा है।
रेलवे एक पर्यावरण-अनुकूल और ऊर्जा-कुशल परिवहन माध्यम है। मल्टीट्रैकिंग के माध्यम से न केवल भीड़भाड़ कम होगी, बल्कि माल और यात्री ट्रेनों की गति और समयबद्धता में भी सुधार आएगा। इससे सेवा की विश्वसनीयता और संचालन की दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।

इन परियोजनाओं के दौरान निर्माण गतिविधियों से लगभग 74 लाख मानव-दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की संभावना है। यह पहल देश की आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने और आर्थिक विकास में योगदान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।