भारत में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की नई दिशा : स्वच्छ ऊर्जा और आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम

नई दिल्ली। भारत ने स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल के रूप में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission – NGHM) के माध्यम से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में वैश्विक नेतृत्व हासिल करने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए हैं। इस मिशन के तहत देश का लक्ष्य वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन करने का है।


भारत का ग्रीन हाइड्रोजन विज़न : भारत का ऊर्जा परिदृश्य अब जीवाश्म ईंधनों से स्वच्छ ऊर्जा की ओर निर्णायक रूप से बढ़ रहा है। यह परिवर्तन 2047 तक विकसित राष्ट्र और 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन हासिल करने के राष्ट्रीय विज़न से जुड़ा हुआ है। ग्रीन हाइड्रोजन, यानी सौर और पवन ऊर्जा से पानी के इलेक्ट्रोलाइसिस द्वारा तैयार हाइड्रोजन, इस परिवर्तन का प्रमुख घटक बन रहा है। यह ऊर्जा स्रोत औद्योगिक डीकार्बनाइजेशन, ऊर्जा सुरक्षा, और आर्थिक आत्मनिर्भरता को एक साथ मजबूत कर सकता है।


मिशन के मुख्य उद्देश्य और लाभ : राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की स्थापना 2023 में की गई थी, जिसका प्रारंभिक बजट ₹19,744 करोड़ (वित्तीय वर्ष 2029-30 तक) निर्धारित किया गया। मिशन के अंतर्गत :

  • ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन हेतु 125 गीगावाट नई नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित की जाएगी।

  • ₹8 लाख करोड़ से अधिक का निवेश आकर्षित होगा।

  • 6 लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है।

  • जीवाश्म ईंधन आयात में ₹1 लाख करोड़ से अधिक की कमी आएगी।

  • हर वर्ष लगभग 50 MMT ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटेगा।

मई 2025 तक, 19 कंपनियों को 8.62 लाख टन वार्षिक उत्पादन क्षमता और 15 कंपनियों को 3,000 मेगावाट इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण क्षमता आवंटित की जा चुकी है।


प्रमुख पहलें और परियोजनाएँ

  • वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट (तमिलनाडु) पर भारत की पहली बंदरगाह आधारित ग्रीन हाइड्रोजन पायलट परियोजना शुरू की गई।

  • सड़क परिवहन क्षेत्र में 10 मार्गों पर 37 हाइड्रोजन बसों और ट्रकों का ट्रायल चल रहा है।

  • लेह में विश्व की सबसे ऊँची (3,650 मी.) ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी परियोजना एनटीपीसी द्वारा आरंभ की गई, जिससे हर वर्ष लगभग 350 टन कार्बन उत्सर्जन कम होगा।

  • इस्पात, उर्वरक और रिफाइनिंग क्षेत्रों में ग्रीन अमोनिया और हाइड्रोजन को बढ़ावा देने हेतु कई पायलट प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए हैं।


अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निवेश

भारत ने वैश्विक स्तर पर भी साझेदारियाँ मजबूत की हैं—

  • जर्मनी की H2Global के साथ भारत के ग्रीन हाइड्रोजन निर्यात के लिए समझौता।

  • सिंगापुर की Sembcorp Industries के साथ पारादीप और तूतीकोरिन में ग्रीन हाइड्रोजन-एमोनिया हब स्थापित करने के लिए MoU।

  • भारत-ब्रिटेन और ईयू-भारत साझेदारी के तहत हाइड्रोजन मानकीकरण और अनुसंधान पर सहयोग।


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