नई दिल्ली | देश के उत्तर पूर्वी राज्यों की सामाजिक-आर्थिक प्रगति को केंद्र में रखकर आयोजित राइजिंग उत्तर ईस्ट निवेशक शिखर सम्मेलन 2025 का समापन 24 मई को हुआ। दो दिवसीय इस आयोजन के दौरान 4.30 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव सामने आए और 8 महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए। यह अब तक का उत्तर पूर्व क्षेत्र में सबसे बड़ा निवेश सम्मेलन माना जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय भागीदारी ने दिखाई मजबूत रुचि : इस सम्मेलन में 80 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों और देश के प्रमुख उद्योग समूहों ने भाग लिया। विभिन्न सत्रों में व्यापार से लेकर सरकार और निवेश से लेकर नीति निर्माण तक कई स्तरों पर संवाद हुए। सम्मेलन का उद्देश्य उत्तर पूर्व भारत को निवेश, उद्योग और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में आगे बढ़ाने की नई योजनाओं को अमलीजामा पहनाना था।
प्रमुख निवेश घोषणाएं और प्रस्ताव
सम्मेलन में भारत के तीन बड़े औद्योगिक समूहों ने मिलकर ₹1.55 लाख करोड़ से अधिक के निवेश की घोषणा की:
● रिलायंस इंडस्ट्रीज : ₹75,000 करोड़ (कृषि, दूरसंचार, डिजिटल सेवाएं, स्थानीय उद्यम)
● अडानी समूह : ₹50,000 करोड़ (ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स, बुनियादी ढांचा)
● वेदांता समूह: ₹30,000 करोड़ (खनन, निर्माण, क्षेत्रीय विकास)

इन प्रस्तावों से पूर्वोत्तर भारत में अगले दशक में लाखों लोगों के लिए रोजगार, कौशल विकास और नई औद्योगिक गतिविधियों के अवसर खुलने की उम्मीद है।
संगठित प्रयासों से तैयार हुआ निवेश वातावरण
पिछले एक वर्ष में उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय ने निवेश माहौल को बेहतर बनाने के लिए:
● 9 शहरों में रोड शो
● 2 प्रमुख राजनयिक बैठकें
● 6 राज्य स्तरीय गोलमेज सम्मेलन
● 6 क्षेत्रीय उद्योग संवाद
● 131 से अधिक निवेशक बैठकें
आयोजित कीं, जिससे क्षेत्र की संभावनाओं को वैश्विक मंच पर पहचान मिली।
भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे में तेजी से सुधार
2014 से 2024 के बीच उत्तर पूर्व में:
● राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 10,905 किमी से बढ़कर 16,207 किमी
● हवाई अड्डों की संख्या 9 से बढ़कर 17 हुई
● बिजली उत्पादन क्षमता में 694.5 मेगावाट की बढ़ोतरी
● 10,000 किमी से अधिक ट्रांसमिशन लाइनें स्थापित
इसके अतिरिक्त, शिक्षा, स्वास्थ्य, डिजिटल कनेक्टिविटी और पर्यटन में भी उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है।
भविष्य की दिशा : रणनीतिक योजनाओं के तहत विकास
सम्मेलन के अंतर्गत कई दीर्घकालिक रणनीतियों पर कार्य किया गया, जिनमें शामिल हैं:
● 8 उच्च स्तरीय कार्यबल का गठन (कृषि, पर्यटन, वस्त्र, खेल, निवेश, पशुपालन, बुनियादी ढांचा आदि पर केंद्रित)
● राज्य-विशिष्ट रोडमैप बनाने की प्रक्रिया
● बी2बी और बी2जी संवादों का निरंतर आयोजन
इन पहलों का उद्देश्य निवेश प्रस्तावों को क्रियान्वित करना और परियोजनाओं को समय पर पूरा करना है।