नई दिल्ली । कोरोना महामारी के कहर का मुकाबला करने के लिए वैज्ञानिक और चिकित्सकीय अनुसंधान की गति तेज कर चुके रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अब कोविड-19 की एंटीबाडी परीक्षण किट का विकास किया है। डिप्कोवैन नाम की इस नई किट से व्यक्ति के शरीर में कोविड एंटीबाडी क्षमता की मौजूदगी का परीक्षण किया जा सकता है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया ने डिप्कोवैन किट को परीक्षण के लिए व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है और अब यह जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगा।
डीआरडीओ के अनुसार डिप्कोवैन किट शरीर में सार्स-सीओवी 2 के वायरस और इससे लड़ने वाले प्रोटीन दोनों की मौजूदगी का पता लगा सकता है और इसकी एक्यूरेसी लगभग शत प्रतिशत है। किट के जरिए परीक्षण में काफी कम समय लगेगा और केवल 75 मिनट में रिपोर्ट आ जाएगी। किट की शेल्फ लाइफ 18 महीने है। खास बात यह है कि इस किट के जरिए एंटी बाडी परीक्षण का खर्च भी काफी सस्ता होगा और करीब 75 रुपये में ही यह टेस्ट हो जाएगा। डीआरडीओ के लैब डिफेंस इंस्टीट्यूट आफ फिजियोलाजी एंड एलायड साइंसेस लेबोरेटरी ने इस किट का विकास किया है और इसमें दिल्ली की एक निजी कंपनी वैनगार्ड डायगनोस्टिक साझीदार है।
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह किट स्वदेशी है और दिल्ली के अस्पतालों में करीब 1000 मरीजों पर परीक्षण के बाद इसे बाजार में उतारने की अनुमति दी गई है। पिछले एक साल के दौरान इस किट के तीन बैच का अस्पतालों में अलग-अलग परीक्षण किया गया है। आइसीएमआर ने इसी अप्रैल में डिप्कोवैन किट को अनुमति दी और इसी महीने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया ने इसके निर्माण और बाजार में बेचे जाने के लिए अपनी मंजूरी दी है।
वैनगार्ड लिमिटेड व्यावसायिक तौर पर जून के पहले हफ्ते में इस किट को बाजार में उतारेगा। लांच के समय करीब सौ किट उपलब्ध होंगी। इससे करीब दस हजार लोगों की जांच होगी और इसके बाद हर महीने 500 किट का उत्पादन होगा। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह किट कोविड महामारी से लड़ाई में लोगों की मदद करेगी।