UP News : गोरखपुर । आलू भी कभी हवा की नमी से हाइड्रोजन और आक्सीजन बनाने के काम आ सकेगा, ऐसा शायद ही किसी ने सोचा होगा। लेकिन जल्दी ही बड़े स्तर पर ऐसा होगा। इसके लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य आलू के स्टार्च से बनाए गए इलेक्ट्रोलाइट से यह संभव करेंगे।
नौ साल से चल रहे शोध को जुलाई में पेटेंट मिल गया है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय की आचार्य और शोधकर्ता ने साथ मिलकर यह शोध पूरा किया है। इस विधि से मौजूदा लागत के मुकाबले बेहद कम लागत में हवा की नमी से हाइड्रोजन-आक्सीजन बनाया जा सकेगा।
पेटेंट मिलने से उत्साहित शोधकर्ताओं का कहना है कि यह शोध ऊर्जा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। अभी तक कमरे के तापमान पर हाइड्रोजन और आक्सीजन का उत्पादन करना काफी खर्चीला होता है। इस प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री और उपकरणों की प्रति वर्ग फीट लागत करीब 80 हजार रुपये आती है, जबकि आलू के स्टार्च से बने इलेक्ट्रोलाइट के जरिए लागत केवल नौ हजार रुपये रह जाएगी।
लैब टेस्ट में 0.2 से 0.4 वोल्ट पर एक वर्ग सेमी क्षेत्रफल की नमी से हाइड्रोजन-आक्सीजन बनाने में महज 10 रुपये की लागत आई। इसका पेटेंट हो जाने से शोध पर सरकार की मुहर लग गई है। अब इसका व्यावसायिक इस्तेमाल भी किया जा सकेगा। इस तकनीक का इस्तेमाल कर कोई भी व्यक्ति बेहद कम लागत में हाइड्रोजन और आक्सीजन बना सकता है।
इससे विधि से आलू का नए तरीके से प्रयोग हो सकेगा और किसानों को भी लाभ मिलेगा। अंतरराष्ट्रीय जर्नल में यह शोध प्रकाशित हो चुका है।