हिंदी में एमबीबीएस : मध्यप्रदेश की बाद अब उत्तराखंड में भी बड़ा बदलाव !

भोपाल  : मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई प्रारंभ की है। वहीं अब इसी दिशा में उत्तराखंड राज्य भी आगे बढ़ रहा है। बुधवार को उत्तराखंड राज्य से पधारे चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय, देहरादून के कुलपति हेमचंद पांडे एवं रेडियो थेरपी विभाग, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज देहरादून के प्राध्यापक डॉ. दौलत सिंह ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री  विश्वास कैलाश सारंग से सौजन्य मुलाकात की। मंत्री  सारंग ने उन्हें एमबीबीएस प्रथम वर्ष की हिंदी में रूपांतरित पुस्तकें भी भेंट की। इस अवसर पर संचालक चिकित्‍सा शिक्षा डॉ. अरूण कुमार श्रीवास्‍तव, स्टेट नोडल अधिकारी हिंदी प्रकोष्ठ डॉ. लोकेंद्र दवे, हमीदिया अस्पताल अधीक्षक डॉ. आशीष गोहिया एवं चिकित्सा हिंदी प्रकोष्ठ ‘मंदार’ के सदस्य भी उपस्थित रहे।

उत्तराखंड राज्य म.प्र. की हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई पर कर रहा अध्ययन : मंत्री सारंग ने बताया कि मध्यप्रदेश हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई प्रारंभ करने वाला देश का पहला राज्य है। प्रदेश की इस उपलब्धि को संपूर्ण देश में सराहा जा रहा है। वहीं देश के अन्य राज्य भी अपनी मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई प्रारंभ करने के लिये मध्यप्रदेश का मार्गदर्शन ले रहे हैं। इसी कड़ी में अब उत्तराखंड राज्य भी एमबीबीएस प्रथम वर्ष की हिंदी में रूपांतरित पाठ्यक्रम का अध्ययन करेगा।

मंदार में देखा हिंदी पुस्तकों के रूपांतरण का कार्य : उत्तराखंड से दो दिवसीय प्रवास पर आये कुलपति  बहुगुणा एवं डॉ. सिंह ने गांधी चिकित्सा महाविद्यालय में स्थिति चिकित्सा हिंदी प्रकोष्ठ मंदार में एमबीबीएस की पुस्तकों के हिंदी रूपांतरण कार्य को देखा व लिप्यंतरण कार्य कर रहे चिकित्सा शिक्षकों से भी संवाद किया।

उत्तराखंड में आयोजित स्वास्थ्य चिंतन शिविर में हुई थी मध्यप्रदेश की प्रशंसा : इसी माह 15 जुलाई को उत्तराखंड के देहरादून में सेंट्रल काउंसिल ऑफ हेल्थ एण्ड फेमिली वेल्फयेर (CCHFW) द्वारा आयोजित 15वें CCHFW Conference स्वास्थ्य चिंतन शिविर का आयोजन किया गया था। यहाँ मध्यप्रदेश एकमात्र राज्य था जिसने प्रस्तुतीकरण दिया। मेडिकल में हिंदी की पढ़ाई प्रारंभ करने के विषय पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री  सारंग ने विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया था, जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने बेहद सराहा था। इसके साथ ही उन्होंने अन्य राज्यों से भी मध्यप्रदेश का अनुसरण करने के लिये प्रेरित किया था।

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