लखनऊ : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में ब्रह्मोस इंटीग्रेशन और टेस्टिंग फैसिलिटी सेंटर का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए ऑपरेशन सिंदूर को केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया कि भारत अब आतंकवाद के विरुद्ध हर सीमा तक जा सकता है, और उसकी ज़मीन पर हमला करने वालों के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं बचती।
निर्दोषों के लिए न्याय, दुश्मनों को सख़्त संदेश : रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादियों के ढांचे को समाप्त करना था, न कि आम नागरिकों को निशाना बनाना। उन्होंने बताया कि हमारे सैनिकों ने संयम और वीरता दोनों का परिचय दिया और सीमापार सैन्य ठिकानों को जवाब देकर भारत की ताकत का अहसास कराया।

रावलपिंडी तक पहुंचा भारत का संदेश : राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की कार्रवाई का असर पाकिस्तान के सैन्य मुख्यालय रावलपिंडी तक पहुंचा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत ने पहले भी उरी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक, पुलवामा के बाद एयर स्ट्राइक जैसे सशक्त कदम उठाए हैं, और अब ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए एक और निर्णायक प्रहार किया गया है।
ब्रह्मोस परीक्षण केंद्र – आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम : उसी कार्यक्रम में उन्होंने लखनऊ स्थित ब्रह्मोस इंटीग्रेशन और टेस्टिंग सेंटर के उद्घाटन को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर बताया। यह सुविधा देश की रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने के साथ-साथ 500 से अधिक प्रत्यक्ष और 1,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा कर रही है।
निवेश और रोजगार को बढ़ावा : उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे (यूपीडीआईसी) में अब तक 34,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर 180 समझौते हुए हैं और 4,000 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही हो चुका है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर उत्तर प्रदेश को रक्षा निर्माण के वैश्विक केंद्र में बदलने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।

ब्रह्मोस: भारत-रूस तकनीकी सहयोग की मिसाल : राजनाथ सिंह ने ब्रह्मोस को दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक बताते हुए कहा कि यह भारत की रक्षा शक्ति, आत्मनिर्भरता और तकनीकी साझेदारी का प्रतीक है। यह न केवल देश की सीमाओं को मज़बूती देता है, बल्कि वैश्विक रक्षा बाज़ार में भारत की उपस्थिति को भी सशक्त करता है।
युवाओं के लिए प्रशिक्षण और कौशल विकास : 300 करोड़ रुपये की लागत से बना यह परिसर आईटीआई छात्रों, इंजीनियरों और तकनीकी कर्मियों के लिए कौशल विकास का केंद्र बनेगा। इससे स्थानीय युवाओं को अन्य शहरों में पलायन करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और उद्योगों के लिए प्रशिक्षित कार्यबल भी उपलब्ध होगा।