Datia News : दतिया। इंटेक दतिया चेप्टर द्वारा किए जा रहे सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के आयोजन सराहनीय और महत्त्वपूर्ण है, भारतीय वाचक परम्परा के संरक्षक हमारे गांव है, यहां का सुदूर जीवन लोकगीतों से शुरु होकर वहीं समाप्त होता है। जन गाथाओं को लोकवाचक परंपरा ने ही बचाया है। उक्त उद्गार झारखंड की लोक संस्कृति विशेषज्ञ डा.स्टेफी टेरेसा मुर्म ने दतिया चेप्टर द्वारा आयोजित आनलाइन बेविनार में भारतीय वाचक परम्परा संरक्षण एवं संवर्धन विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए।
बेविनार की शुरुआत कार्यक्रम अध्यक्ष डा.शिरीन कुरैशी द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर की गई। बेबीनार का संचालन विनोद मिश्र ने किया। आयोजन में आमंत्रित विद्वानों ने अपने अपने विचार रखे।
सर्वप्रथम अशोक नगर से डा. अन्नपूर्णा सिसोदिया ने कहाकि बुंदेलखंड और मालवा में व्याप्त सांस्कृतिक लोकोत्सव संस्कृति के प्रमुख उदाहरण है। संझा माच गणगौर आदि हमारी वह प्रथाएं है जिन्हें सीखने के लिए किसी विद्यालय की आवश्यकता नहीं होती।
महोवा उप्र से संतोष पटेरिया ने कहाकि आल्हा की समस्त लड़ाईयां हमारी वाचक परम्परा की देन है। उन्होंने कहाकि परमार रासो काव्य अब आल्ह खंड के समान तैयार किए गए है।
रायपुर से ललित शर्मा ने छत्तीसगढ़ में हरदेव बाबा की गाथा को बुंदेलखंड के हरदौल से जोड़ते हुए कहाकि वाचक परम्परा की कोई सीमा नहीं होती, वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर अपनी जगह बनाते हुए लोक में समाहित हो जाती है।
इंदौर से कहानीकार राज बोहरे ने कहाकि यह आदिकाल से चली आ रही सांस्कृतिक परम्परा है जो वाचक सभ्यता से ही जीवित रही है। जिसे श्रुति के रूप में जाना जाता है।
अपने उद्बोधन में इंटेक दिल्ली से चेप्टर डिवीजन के निर्देशक अरविंद शुक्ला ने कहाकि इंटेक दतिया इस तरह के आयोजन कर जागरुकता ला रहा है। विरासत में इस आयोजन को स्थान दिया जाएगा।
आयोजन की अध्यक्षता कर रही डा. शिरीन कुरेशी ने कहाकि रामकथा वाचक परंपरा का वह उदाहरण है जो जन जन में व्याप्त है, देखा जाए तो रामचरित मानस की एक चौपाई हर एक व्यक्ति को कंठस्थ होगी।
वेविनार में इंटेक सदस्य शोधार्थी साहित्यकार गण उपस्थित रहे। आभार ऋषिराज मिश्र द्वारा व्यक्त किया गया। आयोजन में संजय रावत, ज्योति शर्मा, रविभूषण खरे, कल्पना मिश्रा, स्वाती मिश्रा नई दिल्ली आदि शामिल हुए।