भोपाल : वन उत्पादों से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों से आजीविका के अवसर बढ़ाये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश राज्य बाँस मिशन द्वारा 4500 से ज्यादा महिलाओं को स्व-सहायता समूह के माध्यम से बाँस-रोपण से सीधे जोड़ा गया है। वन मंत्री डॉ. कुवर विजय शाह ने बाँस मिशन में सहयोगी बनी महिलाओं के प्रयासों की सराहना की है।
प्रदेश में बाँस रोपण में 5 गुना की वृद्धि हुई है। वर्ष 2019-20 में 2623 हेक्टेयर में बाँस रोपण किया गया था, जो इस वर्ष बढ़ कर 13 हजार 914 हेक्टेयर हो गया है। मनरेगा स्कीम में 4511 हेक्टेयर में बाँस-रोपण किया जा चुका है। इससे 4 हजार 500 से अधिक महिलाओं को जोड़ा गया है, जो स्व-सहायता समूह की सदस्य है। बाँस का उत्पादन शुरू होते ही इन परिवारों की आय में वृद्धि होगी और यह परिवार गरीबी रेखा से ऊपर आ जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कृषि एवं वन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बाँस-रोपण किया जा रहा है। बीते 5 वर्षों में कृषि क्षेत्र में 18 हजार 781 हेक्टेयर क्षेत्र और मनरेगा के अलावा विभागीय योजनाओं में 14 हजार 862 हेक्टेयर वन क्षेत्र में बाँस का रोपण किया गया। इस प्रकार कुल 33 हजार 643 हेक्टेयर में बाँस रोपण का काम हो चुका है।

आधार आधारित भुगतान प्रणाली एवं पदों की मेपिंग का प्रशिक्षण सम्पन्न : आयुक्त कोष एवं लेखा ज्ञानेश्वर पाटिल के निर्देश पर आई.एफ.एम.आई.एस. सॉफ्टवेयर में NAVIN (New Aspect of visioned Initiative In IFMIS) थीम पर IFMIS Software में दो नई सुविधाएँ विकसित की गई हैं। पहली सुविधा नवीन भुगतान प्रणाली विकसित की है, वहीं दूसरी में समस्त कार्यालयों में लोकल ऑफिस एवं पदों की मेपिंग का कार्य किया जा रहा है।
आहरण एवं संवितरण अधिकारियों तथा शासकीय सेवकों को इन दोनों सुविधाओं से अवगत कराने प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में 126 आहरण एवं संवितरण अधिकारी शामिल हुए। वरिष्ठ कोषालय अधिकारी, वल्लभ भवन प्रदीप ओमकार के नेतृत्व में सिस्टम मैनेजर सीमा शर्मा तिवारी तथा कोषालय के ध्रुव सिंह पवैया, प्रतीक परिहार और कृतिका सोनी आदि ने प्रशिक्षण दिया। विंध्याचल भवन के मीटिंग हॉल में दो सत्रों में प्रशिक्षण दिया गया।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन के आई.एफ.एम.आई.एस सॉफ्टवेयर में पूर्व में Account आधारित भुगतान किया जाता रहा है। आयुक्त कोष एवं लेखा ज्ञानेश्वर पाटिल द्वारा इस सॉफ्टवेयर को अत्याधुनिक बनाने के क्रम में सॉफ्टवेयर में अकाउंट आधारित भुगतान के अतिरिक्त आधार आधारित भुगतान प्रणाली विकसित की गई है, जिसमें लाभान्वित के खाते में आधार के माध्यम से जल्दी भुगतान किया जा सकेगा।
साथ ही पेमेंट फेल होने की संभावना बहुत कम हो जायेगी। वहीं दूसरी ओर सॉफ्टवेयर में लॉकल ऑफिस एवं पदों की मेपिंग से शासकीय सेवकों की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकेगी। साथ ही उनके स्थानांतरण भी ऑनलाईन किए जा सकेंगे।