श्वेत वस्तुओं के लिए पीएलआई योजना में नई गति : 3 कंपनियों ने 1,914 करोड़ रुपये के निवेश का किया वादा, 50% से अधिक एमएसएमई ने जताया भरोसा

नई दिल्ली │ उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा लागू श्वेत वस्तुओं (एयर कंडीशनर और एलईडी लाइट) के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना के चौथे चरण में इस बार निवेशकों का उत्साह देखने को मिला है। कुल 13 कंपनियों ने इस योजना के अंतर्गत 1,914 करोड़ रुपये के शुद्ध प्रतिबद्ध निवेश के साथ आवेदन किया है।


🌐 बढ़ा एमएसएमई सेक्टर का आत्मविश्वास : इस चरण में सबसे खास बात यह रही कि नए आवेदकों में से 50 प्रतिशत से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) हैं। यह छोटे और मध्यम स्तर के निर्माताओं के बढ़ते आत्मविश्वास और भारत के विनिर्माण तंत्र में उनके सक्रिय योगदान को दर्शाता है।

13 आवेदकों में से एक कंपनी पहले से ही इस योजना का लाभ ले रही है और उसने 15 करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश की प्रतिबद्धता जताई है।


⚙️ एसी और एलईडी के पुर्जों में होगा निवेश : कुल आवेदकों में से 9 कंपनियों ने एयर कंडीशनर के पुर्जों के निर्माण के लिए 1,816 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित किया है। ये निवेश तांबे की ट्यूब, एल्युमीनियम स्टॉक, कंप्रेसर, मोटर, हीट एक्सचेंजर, और कंट्रोल असेंबली जैसे उच्च-मूल्य वाले कंपोनेंट्स पर केंद्रित होंगे।

वहीं 4 कंपनियों ने एलईडी चिप्स, ड्राइवर और हीट सिंक सहित एलईडी लाइट्स के पुर्जों के निर्माण के लिए 98 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव रखा है।


📍 क्षेत्रीय औद्योगिक विकास को बढ़ावा :  इन निवेश प्रस्तावों का विस्तार छह राज्यों के 13 जिलों और 23 स्थानों तक फैला है, जिससे न केवल क्षेत्रीय औद्योगिक विकास को बल मिलेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

अब तक इस योजना के तहत कुल 80 लाभार्थियों से 10,335 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित हुआ है। अनुमान है कि इससे 1.72 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और लगभग 60,000 प्रत्यक्ष रोजगार देशभर में सृजित होंगे।


🇮🇳 भारत बनेगा विनिर्माण हब : प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 7 अप्रैल 2021 को स्वीकृत इस योजना का कुल परिव्यय 6,238 करोड़ रुपये है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में एयर कंडीशनर और एलईडी लाइट्स के लिए संपूर्ण कंपोनेंट इकोसिस्टम तैयार करना है।

इस योजना से देश में स्थानीय मूल्यवर्धन (Value Addition) को वर्तमान 15-20% से बढ़ाकर 75-80% तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे भारत श्वेत वस्तुओं के क्षेत्र में एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर सकेगा।

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