दतिया । इंदरगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम भर्राेली में रेत माफिया के गुर्गों द्वारा एसआईएस आरक्षक पर गोली चलाए जाने के मामले के बाद पुलिस ने अपनी रणनीति बदली है। इसको लेकर आईजी ने निर्णय लिया है कि अब रेत माफिया को पकड़ने के लिए 5 लोगों का दल जाएगा। इस टास्क फोर्स में राजस्व व खनिज और पुलिस विभाग के लोग शामिल रहेंगे। किसी भी पुलिस कर्मचारी को अकेले जाने की सख्त मनाही रहेगी। इसके साथ रात्रि गश्त के दौरान अवैध रेत परिवहन होने पर पहले इसकी सूचना टास्क फोर्स को दी जाएगी।
दतिया जिले में अभी तक रेत माफियाओं द्वारा पुलिस व प्रशासन पर 3 बड़े हमले किए गए हैं। इसमें वन विभाग पर एक बड़ा हमला पिछले दिनों हुआ था। जिसमें वन विभाग कर्मचारियों को पीटने के बाद रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली माफिया छुड़ा ले गए थे। दूसरा मामला सेवढ़ा एसडीएम से झड़प का है। जब पुलिस डबरा में इन आरोपितो को पकड़ने पहुंची तब भी पुलिस पर हमला कर दिया गया, इस हमले एक आरक्षक घायल भी हुआ था। इसके बाद गत गुरूवार रात इंदरगढ़ के ग्राम भर्राेली में फ्लाइंग स्क्वाड के आरक्षक पर गोली चला दी गई। इन सब मामलों के बाद चंबल रेंज पुलिस आईजी ने गंभीरता दिखाते हुए अब पुलिस ने नई रणनीति बनाई है, जिससे रेत माफियाओं पर दबाव बनाकर कार्रवाई की जा सके।
जिलों के पुलिस अधीक्षकों को कार्रवाई के दिए निर्देश
चंबल रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मनोज शर्मा ने बताया कि दतिया में आरक्षक पर हमले के बाद शुक्रवार को सुबह एक संयुक्त वीडियो कांफ्रेसिंग में सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को कहा गया है कि कोई भी पुलिस कर्मचारी अकेले रेत माफियाओं को रोकने नहीं जाएगा। इसके लिए पूरी टास्क फोर्स जानी चाहिए, इसके अलावा इस टास्क फोर्स में तीन से पांच की संख्या में हथियारबंद पुलिस कर्मचारियों के साथ राजस्व के कर्मचारी और खनिज विभाग के कर्मचारी को रखा जाएगा। हालांकि यह नियम पुराना है मगर अब इसे पूरी सख्ती से लागू किया जाएगा।
आईजी शर्मा ने बताया कि इस प्रकार के हमले दूसरी बार ना हो इसके लिए भी अन्य आवश्यक निर्देशों में, रात को गश्त के दौरान अवैध रेत परिवहन की सूचना सबसे पहले टास्क फोर्स को देने और इसके बाद ही कोई कार्रवाई किए जाने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि रेत माफिया के दुस्साहस को देखते हुए पुलिस एक अन्य कारगर योजना भी तैयार कर रही है।
अक्सर देखा जाता है कि पुलिस, राजस्व विभाग के कर्मचारी व्यक्तिगत रूप से अनेक बार रेत का अवैध परिवहन रोकने का प्रयास करते हैं। इसके पीछे उनका अपना एक स्वार्थ होता है। ऐसी स्थिति में रेत माफिया जब अकेले पुलिस या राजस्व विभाग के कर्मचारी को देखते हैं तो उसे वे डराने धमकाने की कोशिश करते हैं। इस संबंध में जिले में अनेक पुलिस कर्मचारियों पर अवैध रेत माफियाओं से सांठगांठ के आरोप भी लगे हैं। इस कारण भी हमले की वारदातें बढ़ी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण फॉरेस्ट के रेंजर पर हमला करने वाले मुख्य आरोपित ने पत्रकार वार्ता करके आरोप भी लगाया था कि वन विभाग के रेंजर ने आपसी रंजिश के चलते हुए उसे झूठे मामले में फंसाना के लिए सारा मामला बनाया है। हालांकि उनके इस आवेदन पर कोई विचार नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में पुलिस को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करना पड़ेगी।