भोपाल : राज्य सरकार ने पुलिस विभाग में भर्ती प्रक्रिया को तेज़, पारदर्शी और नियमित बनाने के लिए “पुलिस भर्ती बोर्ड” के गठन का निर्णय लिया है। इस बोर्ड के माध्यम से हर साल 7,500 पदों पर भर्ती की जाएगी। योजना के तहत अगले तीन वर्षों में विभाग में मौजूद सभी रिक्तियों को भरने का लक्ष्य रखा गया है।
स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पुलिस एवं गृह विभाग से जुड़े कई अहम निर्णयों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जल्द ही “मध्यप्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड” का गठन किया जाएगा। यह बोर्ड पुलिस, जेल और नगर सुरक्षा सेवाओं की भर्तियों को तेज, सुगम और पारदर्शी बनाएगा। वर्ष 2025 की भर्तियाँ कर्मचारी चयन मंडल द्वारा और आगामी वर्षों की भर्तियाँ नए भर्ती बोर्ड द्वारा कराई जाएँगी।
वीवीआईपी मूवमेंट में तैनात सुरक्षाकर्मियों, उप पुलिस अधीक्षकों और उच्च अधिकारियों को छठवें वेतनमान के अंतर्गत विशेष एवं जोखिम भत्ता देने की भी घोषणा की गई। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि गृह विभाग से जुड़ी सभी सेवाओं का आधुनिकीकरण तेजी से किया जाएगा और इसके लिए गृह व वित्त विभाग की संयुक्त बैठक कर लंबित मसलों का समाधान निकाला जाएगा।
रिक्तियों की वर्तमान स्थिति : पुलिस विभाग में लंबे समय से रिक्तियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी। बड़ी संख्या में पद खाली होने के कारण कानून-व्यवस्था बनाए रखने में कठिनाइयाँ महसूस की जा रही थीं। सरकार ने स्वीकार किया कि समय पर भर्ती न होने से बल पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। नई प्रणाली लागू होने के बाद यह समस्या दूर होगी और विभाग में पर्याप्त संख्या में जवान उपलब्ध रहेंगे।
पारदर्शी और निष्पक्ष चयन प्रक्रिया : भर्ती बोर्ड का गठन युवाओं के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि चयन पूरी तरह से योग्यता आधारित और निष्पक्ष होगा। लिखित परीक्षा, शारीरिक दक्षता परीक्षा और दस्तावेज़ सत्यापन की पूरी प्रक्रिया डिजिटल मॉनिटरिंग से जोड़ी जाएगी। इससे भ्रष्टाचार, पक्षपात और अनुचित प्रभाव की संभावनाएँ कम होंगी।
युवाओं के लिए अवसर : हर साल 7,500 पदों पर भर्ती का सीधा फायदा प्रदेश के युवाओं को मिलेगा। यह कदम रोजगार के नए अवसर खोलेगा और युवाओं को समाज की सेवा करने का मंच प्रदान करेगा। ग्रामीण और शहरी दोनों पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए जाएंगे।
सुरक्षा व्यवस्था पर असर : भर्ती पूरी होने के बाद पुलिस बल की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इसका असर सीधे तौर पर अपराध नियंत्रण, महिला सुरक्षा, संवेदनशील क्षेत्रों में तैनाती और कानून-व्यवस्था पर दिखाई देगा। पर्याप्त बल होने से न केवल शहरों में बल्कि दूरस्थ इलाकों में भी तैनाती सुनिश्चित होगी।