मध्यम उद्यमों को भारत@2047 का औद्योगिक इंजन बनाने की नीति रिपोर्ट जारी : नीति आयोग ने विकास, निर्यात और नवाचार को बढ़ाने के लिए 6-सूत्रीय योजना पेश की

नई दिल्ली : नीति आयोग ने “मध्यम उद्यमों के लिए नीति की डिजाइनिंग” शीर्षक से एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है, जिसमें मध्यम उद्यमों को भारत की आर्थिक वृद्धि के भविष्य के प्रमुख वाहक के रूप में स्थापित करने की रणनीति प्रस्तुत की गई है। यह रिपोर्ट आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी की अध्यक्षता में, सदस्यों डॉ. वी.के. सारस्वत और डॉ. अरविंद विरमानी की उपस्थिति में जारी की गई।

रिपोर्ट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की संरचनात्मक असंतुलन को रेखांकित किया गया है। जहां 97% पंजीकृत इकाइयाँ सूक्ष्म हैं, वहीं मध्यम उद्यमों की संख्या केवल 0.3% है। इसके बावजूद, ये मध्यम उद्यम एमएसएमई निर्यात में लगभग 40% का योगदान देते हैं, जो उनकी अप्रयुक्त क्षमता को दर्शाता है।

नीति आयोग का मानना है कि मध्यम उद्यम, यदि सही नीति और संसाधनों से समर्थित हों, तो वैश्विक प्रतिस्पर्धा, रोजगार सृजन और नवाचार में उल्लेखनीय भूमिका निभा सकते हैं। रिपोर्ट में ऐसे उद्यमों के सामने आने वाली मुख्य चुनौतियों की पहचान की गई है, जैसे कि सीमित वित्तीय पहुंच, उन्नत तकनीक का अभाव, शोध एवं परीक्षण सुविधाओं की कमी, और कौशल विकास कार्यक्रमों की असंगति।

रिपोर्ट में सुझाए गए 6 प्रमुख रणनीतिक स्तंभ :-

अनुकूलित वित्तीय समाधान – टर्नओवर-आधारित कार्यशील पूंजी वित्तपोषण योजना, 5 करोड़ रुपये तक की क्रेडिट सुविधा, और तेजी से फंड वितरण तंत्र की स्थापना।

प्रौद्योगिकी एकीकरण और उद्योग 4.0 – क्षेत्र-विशिष्ट ‘भारत एसएमई 4.0 सक्षमता केंद्र’ के रूप में मौजूदा टेक्नोलॉजी हब का उन्नयन।

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अनुसंधान एवं विकास संवर्धन – एक समर्पित आरएंडडी प्रकोष्ठ और क्लस्टर-आधारित परियोजनाओं के लिए आत्मनिर्भर भारत कोष का उपयोग।

क्लस्टर-आधारित परीक्षण अवसंरचना – गुणवत्ता परीक्षण और प्रमाणन केंद्रों का विकास।

कौशल विकास का पुनर्गठन – उद्यमों की आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल कार्यक्रमों का ढांचा, और ईएसडीपी कार्यक्रमों में मध्यम उद्यम केंद्रित मॉड्यूल का समावेश।

केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल – एक समर्पित पोर्टल जिसमें स्कीम डिस्कवरी, अनुपालन सहायता और एआई आधारित मार्गदर्शन उपलब्ध हो।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत को विकसित भारत @2047 के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए, मध्यम उद्यमों की रणनीतिक भागीदारी और प्रोत्साहन आवश्यक है। समावेशी नीति निर्माण, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र का सहयोग, और मजबूत कार्यान्वयन तंत्र इस दिशा में निर्णायक होंगे।

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