दिल्ली : देश के दुर्लभ डाक टिकटों से रूबरू होने का मौका, प्रगति मैदान में चल रही है प्रदर्शनी

 दिल्ली : अमृतपेक्स-2023 के दूसरे दिन, डाक टिकट संग्रह के महाकुंभ में विभिन्न आयु और वर्गों के सैकड़ों डाक टिकट संग्रहकर्ताओं की भीड़ देखी गई, जिनमें से अधिकांश एनसीआर और आसपास के युवा और छात्र थे। आगंतुकों को प्रगति मैदान नई दिल्ली के हॉल नंबर 5 में 1400 फ्रेम पर प्रदर्शित किए जा रहे टिकटों में गहरी रुचि लेते देखा गया, जिनमें महात्मा गांधी, सरदार पटेल और नेताजी सुभाष पर टिकटें आकर्षण का केंद्र थीं। दूसरे दिन के डाक टिकट संग्रह कार्यक्रम में आए लोगों ने रामायण, बुद्ध, वनस्पतियों और जीवों और ऐतिहासिक महत्व के स्थानों पर डाक टिकटों की काफी सराहना की।

युवाओं और छात्रों की रुचियों को ध्यान में रखते हुए, भारतीय डाक ने उत्साही डाक टिकट संग्रहकर्ताओं के लिए विशेष रूप से कार्यशालाओं और संगोष्ठियां, कहानी, पत्र लेखन के साथ प्रश्नोत्तरी सहित अन्य प्रतिस्पर्धी गतिविधियों का आयोजन किया। नई दिल्ली के एक प्रमुख स्कूल का प्रतिनिधित्व करने वाले अमित गोयल नाम के एक छात्र ने प्रदर्शनी को शानदार विचारों में से एक बताया, जिसके माध्यम से युवा पीढ़ी डाक टिकट संग्रह की कला से परिचित हुई। एक अन्य छात्रा सुषमा त्रिपाठी ने प्रदर्शनी के अपने अनुभव को “उत्साहजनक” बताया।

इससे पहले भारतीय डाक द्वारा आयोजित किए जा रहे अमृतपेक्स-2023 की शुरुआत नई दिल्ली के प्रगति मैदान में दुल्हन के भारतीय परिधानों पर स्मारक डाक टिकटों के शुभारंभ के साथ हुई। इस अवसर पर जारी किए गए डाक टिकटों और दुल्हन की पोशाकों के दौर के सामाजिक-सांस्कृतिक रुझानों को दर्शाया। नारी शक्ति पर विशेष कवर भी लॉन्च किया गया है।

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दुल्हन के परिधानों पर स्मारक डाक टिकटों का विमोचन और विभिन्न क्षेत्रों में नारी शक्ति को दर्शाने वाले 9 विशेष कवर का एक सेट भी जारी किया गया, यह लॉन्च प्रसिद्ध कथक नृ्त्यांगना   शोवना नारायण, जिन्होने सत्र की अध्यक्षता की और उनके साथ आलोक शर्मा, महानिदेशक डाक सेवा, स्मिता कुमार, अपर महानिदेशक (कोऑर्डिनेशन), डाक विभाग और  मंजू कुमार, चीफ पोस्टमास्टर जनरल, दिल्ली सर्कल की गरिमापूर्ण उपस्थिति में हुआ।

डाक घर के इतिहास का उल्लेख करते हुए डाक सेवा महानिदेशक  आलोक शर्मा ने कहा कि लोग डाकघर को “एक कार्यालय” के रूप में नहीं बल्कि अपने घर के रूप में देखते हैं।

सत्र की अध्यक्षता करते हुए पद्मश्री शोवना नारायण ने इस बात पर जोर दिया कि जारी हुए स्मारक टिकटों और उनमें प्रदर्शित दुल्हन के परिधान उस विशाल विविधता को दर्शाते हैं जिसे भारत सैकड़ों सालों से बनाए हुए है और उसका आनंद उठा रहा है। 

सर्वसम्मति से यह महसूस किया गया कि विभिन्न अवसरों जारी किए गए डाक टिकट भले ही वो किसी भी समय काल में किए गए हों,  भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं और साथ ही उनकी विरासत को दर्शाते हैं।

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सुपरवूमन सिंड्रोम-नए युग की दुविधा पर सत्र का आयोजन अमृतपेक्स 2023 के बाद दूसरा सत्र भारतीय कथक नृ्त्यांगना पद्मश्री शोवना नारायण की उपस्थिति में सुपरवूमन सिंड्रोम-नए युग की दुविधा पर केंद्रित था, जिसके पैनल में शामिल अन्य सदस्यों में रीमा भाटिया, एसोसिएट प्रोफेसर समाजशास्त्र मिरांडा हाउस,  अवनी लेखरा, भारतीय पैरालंपियन और राइफल शूटर,  

वंदिता कौल, मुख्य पोस्टमास्टर जनरल, हिमाचल प्रदेश,  अर्चना वर्मा, मिशन निदेशक राष्ट्रीय जल मिशन, जल शक्ति मंत्रालय और योगेश सीईओ और संस्थापक ईवन कार्गो शामिल थे। पैनल ने महसूस किया कि सुपरवुमन सिंड्रोम तब होता है जब कोई महिला अपने सपने को पूरा करने के लिए आगे बढ़ती है और इसके लिए पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करती है।

हालांकि, भारतीय संदर्भ में देखें तो हर युग में,भले ही पहले का समय हो या आज का समय,महिलाओं की भूमिका को पहचाने जाने आवश्यकता थी, और है,  क्योंकि आम तौर पर भारतीय महिलाओं को अपनी भूमिका निभाने में कठोर मेहनत और लगातार काम करने के बावजूद कभी कभार ही प्रशंसा मिली है। इस मानसिकता को खत्म करना होगा ताकि महिलाओं द्वारा किए जा रहे कार्य को पहचान देने के लिए समाज में समानता कायम रहे। 

यह सुनिश्चित करने के लिए कि अमृतपेक्स की कार्यवाही बधिर और मूक छात्रों द्वारा समझी जा सके, छात्रों की सुविधा के लिए कार्यक्रम में व्याख्या की सुविधा भी दी गई थी ।

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