उडुपी/नई दिल्ली, 28 नवम्बर 2025। कर्नाटक के उडुपी स्थित श्री कृष्ण मठ में आयोजित लक्ष कंठ गीता पारायण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शामिल होकर सभा को संबोधित किया। इस आयोजन की विशेषता रही कि एक लाख प्रतिभागियों ने एक साथ श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का सामूहिक पाठ किया, जिससे पूरा परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि कलयुग में भगवान के नाम का जाप ही जीवन को सही दिशा देने का मार्ग है। उन्होंने गीता को न केवल व्यक्तिगत जीवन का पथप्रदर्शक बताया, बल्कि इसकी शिक्षाओं को राष्ट्र की नीतियों के लिए भी मार्गदर्शक बताया।
आध्यात्मिक विरासत और उडुपी से जुड़ाव का उल्लेख : प्रधानमंत्री ने उडुपी की ऐतिहासिक आध्यात्मिक परंपरा, अष्ट मठों की व्यवस्था तथा संत परंपरा की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने स्मरण कराया कि उडुपी जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी के शुरुआती संगठनात्मक कार्यों की भी महत्वपूर्ण भूमि रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि उडुपी के लोग दशकों पहले स्वच्छता और जल प्रबंधन जैसे अभियानों को अपनाते रहे हैं, जो आज राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का हिस्सा हैं।
गीता के संदेश और राष्ट्रीय सुरक्षा पर विचार : प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि गीता सिखाती है कि शांति बनाए रखने के लिए अन्याय और अत्याचार का सामना करना आवश्यक है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के मूल विचार से जोड़ा और कहा कि देश शांति चाहता है, लेकिन नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी उतना ही आवश्यक है। उन्होंने हाल ही में आतंकवाद विरोधी अभियानों का उल्लेख करते हुए कहा कि नया भारत किसी दबाव में झुकने वाला नहीं है।
सामाजिक सरोकारों के लिए किए नौ संकल्पों का आह्वान : प्रधानमंत्री ने नागरिकों से नौ संकल्प लेने की अपील की, जिनमें प्रमुख हैं—
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जल संरक्षण
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वृक्षारोपण, विशेषकर “एक पेड़ मां के नाम” अभियान
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निर्धन व्यक्ति के जीवन स्तर सुधार का संकल्प
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स्वदेशी के उपयोग को बढ़ावा
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प्राकृतिक खेती
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स्वास्थ्यप्रद जीवनशैली व मोटे अनाज को आहार में शामिल करना
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योग को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना
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पांडुलिपियों और सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण
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देश के कम से कम 25 विरासत स्थलों का भ्रमण
उन्होंने हाल ही में कुरुक्षेत्र में उद्घाटित महाभारत अनुभव केंद्र और गुजरात में आयोजित माधवपुर मेले में लोगों से शामिल होने का भी आग्रह किया।
कार्यक्रम की पृष्ठभूमि : प्रधानमंत्री ने श्री कृष्ण मठ का दौरा किया, सुवर्ण तीर्थ मंडप का उद्घाटन किया और कनकना किंदी के स्वर्ण आवरण (कनक कवच) को समर्पित किया। कनकना किंदी वह स्थान माना जाता है, जहां संत कनकदास को भगवान श्री कृष्ण के दिव्य दर्शन प्राप्त हुए थे। श्री कृष्ण मठ की स्थापना लगभग 800 वर्ष पहले वेदांत के द्वैत दर्शन के प्रवर्तक जगद्गुरु माधवाचार्य ने की थी।


