किसानों की जीत और अंहकार की हार है : प्रियंका बोली चुनाव में स्थिति ठीक नहीं इसलिए माफी मांगने आ गए

लखनऊ :  कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले को किसानों की जीत और सरकार के अहंकार की हार करार दिया। वाड्रा ने इस फैसले के समय पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहाकि आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया गया है।

उन्होंने प्रश्न किया कि सरकार औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र का इंतजार क्यों कर रही है, और इसके लिए अध्यादेश क्यों नहीं ला रही है? वाड्रा ने पत्रकारों से बातचीत में कहाकि चुनाव पूर्व का सर्वेक्षण आया है जिसमें उनको दिख रहा है कि परिस्थितियां ठीक नहीं हैं, तो अब वह चुनाव से पहले माफी मांगने आ गए हैं। देश भी ये समझ रहा है।

उन्होंने कहाकि इस सरकार के नेताओं ने किसानों को क्या क्या नहीं बोला। आंदोलनजीवी, गुंडे, आतंकवादी, देशद्रोही, यह सब किसने कहा? तब प्रधानमंत्री जी चुप क्यों थे? बल्कि उन्होंने ही आंदोलनजीवी शब्द बोला था।

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वाड्रा ने कहाकि जब किसानों की हत्या हो रही थी, जब किसानों को मारा जा रहा था, लाठियां बरसाई जा रही थीं, उनको गिरफ्तार किया जा रहा था, तो यह सब कौन कर रहा था? आपकी ही सरकार तो कर रही थी।

आज आप आकर कह रहे हैं कि यह कानून आप वापस लेंगे, तो हम कैसे आपकी नियत पर भरोसा करें? उन्होंने कहाकि मुझे खुशी इस बात की है कि सरकार समझ गयी है कि इस देश में किसान से बड़ा कोई नहीं है। इस देश में अगर एक सरकार किसान को कुचलने की कोशिश करती है और किसान खड़ा हो जाता है, तो उस सरकार को अंत में झुकना ही पड़ेगा।

किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को याद करते हुये वाद्रा ने कहा कि उनके भाई राहुल गांधी ने बहुत पहले कहा था कि सरकार को किसानों की ताकत के आगे झुकना होगा और आज जो हुआ है वह किसानों की जीत और अहंकार की हार है।

यह पूछे जाने पर कि क्या यह घोषणा आगामी चुनावों के मद्देनजर की गई है, उन्होंने कहाकि यह स्पष्ट है कि उन्होंने इतना लंबा इंतजार क्यों किया। उन्होंने अब तक कुछ नहीं कहा, किसानों से मिलने या सीमा पर आंदोलन करने वालों से मिलने नहीं गए।

अब ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि चुनाव नजदीक आ रहे हैं। प्रधानमंत्री के इस दावे पर कि सरकार किसानों के एक वर्ग को समझाने में विफल रही, वाड्रा ने कहाकि सरकार अभी भी किसानों को अलग करने की कोशिश कर रही है,

यह कहने की कोशिश कर रही है कि आंदोलन करने वाले दूसरों से अलग हैं लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। देश के सभी किसान इसमें एक साथ हैं क्योंकि सभी किसी न किसी तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं। प्रधानमंत्री की घोषणा के बावजूद किसानों के आंदोलन जारी रखने के फैसले पर उन्होंने कहाकि इस सरकार की मंशा पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। उनका रुख हर दिन बदलता रहता है। उन्हें पहले कानून वापस लेने चाहिए।

इस फैसले का श्रेय राजनीतिक दलों द्वारा लिये जाने के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता ने कहाकि यह किसानों का उनके अधिकारों के लिए आंदोलन है, वे लड़ रहे थे और किसानों ने ही अपनी जान कुर्बान की थी। मुझे नहीं लगता कि किसी राजनीतिक दल द्वारा इसका श्रेय लेने का कोई प्रयास किया जाना चाहिए, हम सभी ने उनका समर्थन किया और उनके साथ खड़े रहे लेकिन श्रेय उन लोगों का है जो इसके लिए आंदोलन कर रहे थे।’

कांग्रेस नेता ने मांग की कि यदि सरकार गंभीर है, तो विशेष रूप से लखीमपुर मामले में आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने माफी मांगी, लेकिन उन्होंने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि नहीं दी।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले करीब एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की शुक्रवार को घोषणा की।

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