नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस- 2023 की पूर्व संध्या पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 25 जनवरी, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में वीर गाथा 2.0 के 25 विजेताओं को सम्मानित किया। वीर गाथा परियोजना के तहत पिछले साल के वीर गाथा संस्करण- 1 की भारी सफलता को देखते हुए इसके दूसरे संस्करण वीर गाथा 2.0 को आयोजित किया गया था। इसे रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय ने आजादी का अमृत महोत्सव के एक हिस्से के तहत संयुक्त रूप से शुरू किया है।
राजनाथ सिंह ने विजेताओं को 10,000 रुपये का नकद पुरस्कार, एक पदक और एक प्रमाणपत्र प्रदान किया। इस दौरान शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट भी उपस्थित थे। इसके अलावा कार्यक्रम में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर. हरि कुमार, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे और रक्षा सचिव गिरिधर अरामने भी उपस्थित थे। आर्मी पब्लिक स्कूल और छावनी बोर्डों के 100 से अधिक एनसीसी कैडेट और छात्र उपस्थित थे। वहीं, 500 विद्यालयों के छात्र और शिक्षक ने वर्चुअल माध्यम के जरिए इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
रक्षा मंत्री ने युवा विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने उनकी बहादुरी, उत्साह और रचनात्मकता की सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि युवा पीढ़ी न केवल खुद को बल्कि, समाज और राष्ट्र को भी एक नई और बेहतर दिशा प्रदान करेगी।
रक्षा मंत्री ने युवा छात्रों में देशभक्ति के प्रेरक मूल्यों में वीर गाथा की भूमिका की सराहना की। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस तरह की परियोजनाएं छात्रों में शिक्षा के साथ-साथ नैतिकता और वीरता के मूल्यों का संचार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उन्होंने आगे कहा कि हालिया दिनों में सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जो आने वाले समय में हमारे बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायता करेंगे। रक्षा मंत्री ने वीर गाथा की बढ़ती लोकप्रियता को रेखांकित किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि इतने कम समय में इस परियोजना ने अपार लोकप्रियता प्राप्त की है और यह अपने आप में एक आंदोलन बन गया है।
रक्षा मंत्री ने कहा, “पिछले साल 8 लाख प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था, जबकि इस बार इनकी संख्या 19 लाख को पार कर गई है। बहुत कम समय में यह लाखों बच्चों तक पहुंचने में सक्षम हो गया है। यह बताता है कि किस तरह एक आंदोलन शुरू होता है।” राजनाथ सिंह ने रेखांकित किया कि करोड़ों बच्चे अप्रत्यक्ष रूप से इस परियोजना से जुड़े हुए हैं, जो इस परियोजना का उद्देश्य भी है। उन्होंने आगे कहा कि देश के बच्चों के साथ जुड़ना और उन्हें प्रेरित करना ही राष्ट्र निर्माण है।
राजनाथ सिंह ने कहा, “किसी भी निर्माण के लिए एकीकरण पहली जरूरत है, चाहे वह एक भवन हो, एक समाज हो, एक संगठन हो या एक राष्ट्र हो। एकीकरण की प्रक्रिया के बिना किसी का भी निर्माण नहीं किया जा सकता है। यह परियोजना पूरे देश के बच्चों को भारतीयता की पुरानी विरासत से जोड़ रहा है और उनके व्यक्तित्व का निर्माण कर रहा है। जितना अच्छा हम बच्चों के व्यक्तित्व का निर्माण करेंगे, राष्ट्र-निर्माण उतना ही बेहतर और मजबूत होगा।”
रक्षा मंत्री ने दैनिक जीवन में वीरता के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “जब मैं वीरता और साहस की बात करता हूं, तो मेरा मतलब केवल युद्ध के मैदान में वीरता और साहस से नहीं है। ये गुण दैनिक जीवन में काफी जरूरी हैं। केवल तीर और तलवार चलाना साहस नहीं है। अगर कहीं गलत है, तो उसके खिलाफ आवाज उठाना भी बहुत बहादुरी और हिम्मत का काम है।”
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस, अशफाक उल्ला खान जैसे महान हस्ती पूरे जीवन सच बोलते रहे, चाहे इसके लिए उन्हें कितनी ही कीमत क्यों न चुकानी पड़ी हो। इसके अलावा रक्षा मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि इस तरह के सम्मान समारोह का आयोजन राज्य और जिला स्तर पर भी किया जाना चाहिए, जिससे यह परियोजना अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने वीर गाथा परियोजना की अवधारणा के लिए रक्षा मंत्रालय को धन्यवाद दिया। उन्होंने इस पर जोर दिया कि दोनों मंत्रालयों के संयुक्त प्रयास सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, क्योंकि इसने पूरे देश में सभी आयु वर्ग के छात्रों के बीच काफी अधिक रुचि उत्पन्न की है।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वीर गाथा परियोजना पूरी तरह से राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के उद्देश्यों व आकांक्षाओं के अनुरूप है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद पंच प्रण के माध्यम से अपने इतिहास व संस्कृति पर गर्व करने पर फिर से जोर दिया है।
उन्होंने आगे कहा, “हमारे इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में वीरता के कार्यों को सामने लाने के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है, जहां मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले कई क्षेत्रों के बहादुर नायकों को बड़े पैमाने पर अनदेखा किया गया है और उन्हें भुला दिया गया है।”
धर्मेंद्र प्रधान ने छात्रों को प्रेरित करने के लिए वीरता पुरस्कार विजेताओं की कहानियों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का आह्वाहन किया। इस अवसर पर परमवीर चक्र पुरस्कार विजेता सूबेदार मेजर संजय कुमार ने कारगिल युद्ध की अपनी वास्तविक जीवन की कहानी सुनाई, जिसमें उन्होंने सभी बाधाओं को पार किया और भारत की ऐतिहासिक जीत में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने बच्चों को उन साहसी सैनिकों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित किया, जो व्यक्तिगत सुरक्षा की चिंता किए बिना नि:स्वार्थ भाव से मातृभूमि की सेवा करते हैं।