भोपाल : मध्यप्रदेश ने एक बार फिर देश में सोयाबीन उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। देश के कुल सोयाबीन उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा मध्यप्रदेश से आता है। किसानों के परिश्रम और सरकार की प्रभावी नीतियों से प्रदेश ने यह उपलब्धि हासिल की है।
सोयाबीन के रकबे में 2% वृद्धि : पिछले वर्ष की तुलना में प्रदेश में सोयाबीन के रकबे में लगभग 2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस वर्ष 66 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सोयाबीन की खेती हुई। अनुमान है कि 31 दिसंबर तक 6.5 से 7 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन का उपार्जन पूरा हो जाएगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद : मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को राहत प्रदान करते हुए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ₹4,892 प्रति क्विंटल तय किया है। यह पहली बार है जब सोयाबीन का समर्थन मूल्य पर उपार्जन किया जा रहा है।
ई-उपार्जन पोर्टल से ऑनलाइन भुगतान : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर किसानों को ई-उपार्जन पोर्टल के माध्यम से राशि का भुगतान किया जा रहा है। अब तक 2 लाख किसानों को ₹1,957.1 करोड़ की राशि का भुगतान किया गया है। भुगतान प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन सिस्टम लागू किया गया है।
भुगतान में अग्रणी जिले : नीमच जिला शत-प्रतिशत भुगतान के साथ अग्रणी है। इसके अलावा विदिशा, राजगढ़, नर्मदापुरम, आगर मालवा, शहडोल, अनूपपुर, जबलपुर, उमरिया और खरगौन जैसे जिलों में 75 प्रतिशत से अधिक किसानों को भुगतान हो चुका है।
मालवा अंचल में सर्वाधिक उत्पादन : प्रदेश का मालवा अंचल सोयाबीन उत्पादन में सबसे आगे है। यहां किसानों को पंजीयन, परिवहन, भंडारण और भुगतान के कार्यों में विशेष प्राथमिकता दी जा रही है।
नियमित समीक्षा से किसानों को लाभ : किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए राजधानी से लेकर जिलों तक उपार्जन कार्यों की नियमित समीक्षा हो रही है। इससे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसानों को किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो।
मध्यप्रदेश के किसानों और सरकार की सामूहिक मेहनत ने प्रदेश को सोयाबीन उत्पादन का केंद्र बना दिया है। बेहतर व्यवस्थाओं और पारदर्शी प्रक्रियाओं से प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई मिल रही है।