बढ़ती आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना आने वाले वर्षों में एक बड़ी चुनौती : इंडिया वॉटर वीक के शुभारंभ पर राष्ट्रपति ने कहा
draupadi murmu husband biography , Shyam Charan Murmu Biography , Draupadi Murmu Husband,draupadi murmu Personal Life,draupadi murmu Family Shyam Charan Murmu wikipedia

New Delhi News : नईदिल्ली । जलस्त्रोतों की फिलहाल स्थिति पर नजर डालें तो यह चिंताजनक लगती है। बढ़ती आबादी के कारण हमारी नदियों और जलाशयों की हालत बिगड़ रही है। गांव के तालाब सूख रहे हैं और कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गई हैं। यह चिंता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गत दिवस उप्र के ग्रेटर नोएडा में 7वें इंडिया वॉटर वीक का उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में व्यक्त की।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहाकि जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। भारतीय सभ्यता में जल जीवन में ही नहीं जीवन के बाद की यात्रा में भी महत्वपूर्ण है। इसलिए सभी जल स्रोतों को पवित्र माना जाता है। कृषि और उद्योगों में पानी का अत्याधिक दोहन किया जा रहा है। पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। मौसम का मिजाज बदल रहा है और बेमौसम अत्यधिक वर्षा आमबात हो गई है। ऐसे में जल प्रबंधन पर चर्चा करना बहुत ही सराहनीय कदम है।

राष्ट्रपति ने कहाकि पानी का मुद्दा न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक है। यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। क्योंकि उपलब्ध मीठे पानी की विशाल मात्रा दो या दो से अधिक देशों के बीच फैली हुई है। इसलिए यह संयुक्त जल संसाधन एक ऐसा मुद्दा है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 7वें भारत जल सप्ताह में डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, इज़राइल और यूरोपीय संघ भाग ले रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस मंच पर विचारों और प्रौद्योगिकियों के आदान प्रदान से सभी लाभान्वित होंगे।

राष्ट्रपति ने कहाकि पानी कृषि के लिए भी एक प्रमुख संसाधन है। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में लगभग 80 प्रतिशत जल संसाधन का उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। इसलिए जल संरक्षण के लिए सिंचाई में पानी का उचित उपयोग और प्रबंधन बहुत जरूरी है। इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एक प्रमुख पहल है।

देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह राष्ट्रव्यापी योजना लागू की जा रही है। जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप इस योजना में प्रति बूंद अधिक फसल सुनिश्चित करने के लिए सटीक सिंचाई और जल बचत प्रौद्योगिकियों को अपनाने की भी परिकल्पना की गई है।

स्वच्छ पेयजल आने वाले वर्षों में बड़ी चुनौती : राष्ट्रपति ने कहाकि बढ़ती आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना आने वाले वर्षों में एक बड़ी चुनौती होगी। पानी का मुद्दा बहुआयामी और जटिल है। जिसके लिए सभी हितधारकों को प्रयास करने चाहिए। हम सभी जानते हैं कि पानी सीमित है और केवल इसका उचित उपयोग और पुन उपयोग ही इस संसाधन को लंबे समय तक बनाए रख सकता है। इसलिएए हम सभी को इस संसाधन का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने का प्रयास करना चाहिए।

जल संरक्षण के बारे में जागरूक बनने का आव्हान : राष्ट्रपति ने लोगों से इसके दुरुपयोग के बारे में जागरूक होने और दूसरों को जल संरक्षण के बारे में जागरुक करने का भी आग्रह किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस 7वें जल सप्ताह के दौरान विचार मंथन के परिणाम इस पृथ्वी और मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

उन्होंने आम लोगों, किसानों, उद्योगपतियों और विशेषकर बच्चों से जल संरक्षण को अपनी नैतिकता का हिस्सा बनाने की अपील की। उन्होंने कहाकि इसी तरह हम आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर और सुरक्षित कल का तोहफा दे पाएंगे।

Share this with Your friends :

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter