नई दिल्ली : रक्षा मंत्री ने बताया कि 2014 से पहले की सरकारों का मानना था कि सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि इसका उपयोग देश के विरोधी कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सत्ता में आने के बाद से ही सीमावर्ती बुनियादी ढांचे का विकास प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्राथमिकता रही है क्योंकि ये क्षेत्र, विशेष रूप से पूर्वोत्तर, सामाजिक-आर्थिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, “पिछले दशक में, हमने गांवों से शहरों तक सड़कों का एक विशाल नेटवर्क बनाया है, जिसके परिणामस्वरूप देश में अभूतपूर्व गति से प्रगति हुई है।”
राजनाथ सिंह ने लोगों को आश्वासन दिया कि सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास में नए आयाम जोड़े जाएंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत सबसे सुरक्षित और शक्तिशाली राष्ट्रों में से एक होगा।
इस वर्चुअल उद्घाटन के दौरान रक्षा मंत्री के साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, मनोनीत रक्षा सचिव आर.के. सिंह, पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राम चंद्र तिवारी, सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन, त्रिशक्ति कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल जुबिन ए. मिनवाला भी उपस्थित थे, जबकि शेरथांग में मुख्य स्थल पर सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग उपस्थित थे।
सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम के राज्यपाल; जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख के उपराज्यपाल; अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री; केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय और कार्मिक तथा लोक शिकायत राज्य मंत्री और कानून तथा न्याय और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री ने इस कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से भाग लिया।