Ayodhya News : अयोध्या । आम श्रद्धालुओं को रामलला के दर्शन सवा माह बाद मंगलवार को सुलभ हुए। अनलाक के पहले ही दिन सुबह सात बजे दर्शन अवधि शुरू होते ही सैकड़ों की संख्या में लोग कतार में लगे दिखे। हालांकि इस दौरान कोरोना गाइडलाइन का पालन श्रद्धालुओं से लेकर पुजारी तक करते नजर आए। गौरतलब है कि कोरोना संकट गहराने के साथ गत 21 अप्रैल को राम जन्मोत्सव से पूर्व ही बाहरी श्रद्धालुओं के लिए रामजन्मभूमि सहित प्रमुख मंदिरों के द्वार बंद करा दिए गए थे। इस आशंका से कि राम जन्मोत्सव में उमड़ने वाली लाखों की भीड़ कोरोना संक्रमण की प्रमुख वजह हो सकती है।
अब मंगलवार को रामलला का दरबार खोल दिया गया। कई दिन बाद हुई चहल-पहल से रामजन्मभूमि के इतिहास और संघर्ष की पुस्तकें तथा पूजन सामग्री बेचने वाले कारोबारी भी पूरी तत्परता से सक्रिय दिखे। प्रसाद की दुकान चलाने वाले उम्मीद जताते हैं कि यदि कोरोना संकट थमने का सिलसिला यूं ही आगे बढ़ा तो जल्द ही रामलला के समीप के बाजार में भी रौनक आ जाएगी। चिकित्सक के तौर पर दर्शनार्थियों पर नजर रख रहे चिकित्साधिकारी ने लोगों को अति उत्साह से बचने का सुझाव दिया। उनका कहना है कि चिकित्सा संबंधी पूरी सजगता के साथ शारीरिक दूरी, मास्क, सैनिटाइजर आदि का सतत प्रयोग होना चाहिए।
रामजन्मभूमि (Ram Janambhoomi) से लेकर कनकभवन, हनुमानगढ़ी, दशरथमहल जैसे प्रमुख मंदिर और उससे जुड़े मार्ग पर आते-जाते श्रद्धालु इस सुझाव का पालन करते भी नजर आए। जिलाधिकारी एवं एसएसपी भी मातहतों के साथ कोरोना से बचाव की गाइडलाइन सुनिश्चित करा रहे थे। रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्रदास भी माह भर बाद दर्शनार्थियों से रामलला का दरबार गुलजार होने पर उत्साहित दिखे। उन्होंने कहाकि आज का दिन कोरोना संकट कम होने का भी पर्व है। इस पर्व पर रामलला के प्रति कृतज्ञता अर्पित होनी ही चाहिए, किंतु कोरोना से बचाव की गाइडलाइन का पूरा पालन करते हुए। वह स्वयं भी मास्क लगाने के साथ शारीरिक दूरी के प्रति सजगता बरतते दिखे।
इधर मथुरा ( Mathura) में ठा. बांकेबिहारी (Banke Bhihari के भक्तों का इंतजार मंगलवार सुबह खत्म हो गया। करीब एक माह बाद मंदिर के पट खुले तो वंृदावन की गलियां जयकारों से गूंज उठीं। निर्धारित दो हजार श्रद्धालुओं को ही आनलाइन पंजीकरण के बाद मंदिर में प्रवेश दिया गया। इस दौरान सैनिटाइजेशन और थर्मल स्क्रीनिंग की विशेष व्यवस्था थी। गौरतलब है कि गत चार मई को आंशिक कोरोना कर्फ्यू शुरू होने के साथ ही मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए बंद हो गए थे।