Datia News : दतिया । शहर पिछले कुछ वर्षों में जिस तेजी फैला है उतने ही सफाई कर्मचारी कम होते गए। शहर में कुल 36 वार्ड है। इनमें दो वार्ड तो ऐसे है जिनका क्षेत्रफल काफी बड़ा है, किंतु वहां पर सफाई के लिए मात्र 10 से 14 कर्मचारी ही लगे है। इससे जाहिर है कि यह एरिया सफाई से वंचित रह जाता है। स्वच्छता सर्वेक्षण का सर्वे भी समाप्त हो चुका है। ऐसे में सफाई कार्य में भी अब थोड़ी ढिलाई आने लगी है। शहर के 25 वर्ग किमी क्षेत्रफल के एरिये में मात्र 250 सफाई कर्मचारी कार्य कर रहे है।
ऐसे में सफाई व्यवस्था पर भी इसका असर पड़ रहा है। इसके अलावा सफाई अमले के लिए जो लोग लगे है, वे सफाई व्यवस्था इतर दूसरे कामों में लगाए गए है। नतीजन ये सफाई कर्मचारी एक वार्ड का कचरा दूसरे वार्ड में डालकर अपना काम तो हल्का कर रहे है, किंतु शहर की सफाई का हाल जस का तस बना है। शासन अभी नए पद स्वीकृत नहीं कर रही है, ऐसे नगर की सफाई व्यवस्था नगर पालिका के लिए एक चुनौती बन गया है।
दतिया शहर में जैसे-जैसे शहर का एरिया बढ़ रहा है, वैसे-वैसे सफाई कर्मचारी कम होते जा रहे हैं। इस कारण शहर में पर्याप्त सफाई और लीटरबिन, बड़े कचरे के कंटेनर खाली नहीं हो पा रहे हैं। वर्तमान में 450 से अधिक कर्मचारी नगर पालिका में कार्यरत हैं, किंतु हकीकत देखी जाए, तो कुल ढाई सौ कर्मचारी ही कार्यरत है। बाकी अन्य कर्मचारी दूसरे कार्यों में लगे हुए हैं इस कारण भारी परेशानी सफाई व्यवस्था को लेकर आ रही है।
जानकारी के अनुसार कुल 450 कर्मचारी मस्टररोल पर कार्यरत इनमें से शेष 75 कर्मचारी अन्य स्थानों पर काम कर रहे हैं। इनमें से 150 कर्मचारियों का एक अमला ऐसा है, जो दूसरे काम कर रहा है और सफाई के नाम पर उनका वेतन निकाला जा रहा है। इनमें से लगभग 50 कर्मचारी नगर निगम के ट्रैक्टर, मिनीडोर व अन्य वाहन चला रहे हैं। इसके अलावा 30 से अधिक मेट हैं, जो सिर्फ सफाई का सुपरविजन करते हैं। इसी तरह लगभग 70 कर्मचारी ऐसे भी है, जो कहीं बंगले पर या किसी साहब के साथ या ऑफिस में अटैच है। जिनका सफाई से कोई लेना-देना नहीं होता परंतु वेतन स्वच्छता विभाग से निकलता है।
शहर का फैल रहा क्षेत्रफल
जैसे जैसे शहर का विकास हो रहा है और नई कॉलोनी व आवास बन रहे है, वैसे वैसे शहर के एरिया भी बढ़ते जा रहे हैं। लगभग 25 वर्ग किलोमीटर की परिधि में यह शहर अब बस गया है। इनमें से बता दें कि कुछ मोहल्ले तो ऐसे हैं जहां पर सफाई करने कर्मचारी जाते ही नहीं है। इसके अलावा वार्ड क्रमांक 34 तथा 36 लगभग 16 किलोमीटर वर्ग किलोमीटर के एरिया में फैला हैं। इन दोनों ही वार्डों में मात्र 8 सफाई कर्मचारी कार्य करते हैं, ऐसी स्थिति में कितनी सफाई होगी यह एक जाहिर सी बात है।
कर्मचारियों की कमी के चलते सफाई कर्मचारी को ही वाहन चलाने का व कचरा संग्रहण का जिम्मा सौंपा गया है। प्रत्येक कचरा वाहन पर दो लोगों के स्थान पर एक व्यक्ति तैनात किया गया था। इसी तरह ट्रैक्टर ट्रॉली में जो कचरा उठाकर ट्रेंचिंग ग्राउंड ले जाते हैं, वहां पर भी सिर्फ एक कर्माचारी को ही रखा गया है, ताकि हाइड्रोलिक ट्रॉली से कचरा खाली करके वह वापस आ सके। वीआईपी आगमन पर शहर में अन्य वार्डों के सफाई कर्मचारियों को लगाए जाने की भी व्यवस्था की गई है।
सफाई के लिए यह होना चाहिए व्यवस्था
किसी शहर की सफाई के लिए 500 वर्ग मीटर में एक सफाई कर्मचारी की नियुक्ति होनी चाहिए। वर्तमान में देखा जाए तो लगभग 50 सफाई कर्मचारियों की नगर पालिकाओं को आवश्यकता है, किंतु यह व्यवस्था तत्काल नहीं हो पा रही है। इसके चलते उपलब्ध सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी में ही फेरबदल किया जा रहा है। वर्तमान में जो कर्मचारियों उन्हीं का अधिकतम उपयोग करके सफाई कार्य किया जा रहा है। जैसे कचरा डालने वाले टिपर वाहन में सहायक को कमोवेश बंद ही कर दिया गया है। लोग अपनी मर्जी से गाड़ी में कचरा डालते हैं और ड्राइवर हार्न बजाता हुआ और जिंगल सुनाता हुआ आगे निकल जाता है। सर्वाधिक परेशानी शहर से कचरे को उठाने में आ रही है। इसके फलस्वरूप वार्ड का सफाई कर्मचारी दूसरे वार्ड में कचरा डाल देता है। इसकी शिकायत भी पिछले दिनों एक भाजपा पार्षद ने की है। इस तरह से शहर की पूरी सफाई व्यवस्था कर्मचारी के अभाव में चरमरा रही है।
इस बारे में नगर पालिका दतिया के स्वच्छता प्रभारी अनुपम पाठक का कहना है कि वर्तमान में सफाई व्यवस्था के लिए न्यूनतम तौर पर 50 कर्मचारियों की तुरंत भर्ती की आवश्यकता तो है। इसके लिए हमने प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है। इसके अलावा अन्य स्थानों पर लगे कर्मचारियों को भी हम वापस भी बुलवा रहे हैं। मगर इसमें सफलता नहीं मिल पा रही है। सफाई व्यवस्था के कार्यों का समायोजन कर शहर की सफाई पूरी तरह से हो जाए इसकी कार्ययोजना भी बन रही है