आत्मनिर्भर भारत ही भविष्य की ढाल : राजनाथ सिंह, ऑपरेशन सिंदूर से स्वदेशी वायु रक्षा तक, रणनीति और तकनीक से मजबूत हो रहा है राष्ट्र

नई दिल्ली । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 21वीं सदी में बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की सुरक्षा और अस्तित्व के लिए आत्मनिर्भरता अत्यावश्यक है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद, महामारी और क्षेत्रीय संघर्षों जैसे चुनौतियों के बीच भारत को रक्षा क्षेत्र में पूरी तरह स्वदेशी क्षमताओं पर निर्भर होना होगा। वे नई दिल्ली में आयोजित “21वीं सदी में युद्ध” विषयक रक्षा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।


आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक कदम : रक्षा मंत्री ने हाल ही में सम्पन्न ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह अभियान केवल कुछ दिनों का संघर्ष नहीं था बल्कि वर्षों की रणनीतिक योजना, आधुनिक स्वदेशी तकनीक और आत्मनिर्भरता की तैयारी का परिणाम था। भारतीय सेनाओं ने अपने स्वदेशी हथियारों और उपकरणों के दम पर निर्णायक सफलता हासिल की।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित सुदर्शन चक्र मिशन इस दिशा में क्रांतिकारी पहल है। हाल ही में डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली का सफल परीक्षण इसी अभियान की बड़ी उपलब्धि है। इसके साथ ही आने वाले वर्षों में भारत हवाई रक्षा में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की ओर अग्रसर है।


युद्धपोत से लेकर एयरो-इंजन तक : राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अब अपने सभी युद्धपोत स्वदेशी तकनीक से बना रहा है। आईएनएस हिमगिरि और आईएनएस उदयगिरि जैसे अत्याधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट इसका प्रमाण हैं। उन्होंने यह भी बताया कि स्वदेशी एयरो-इंजन परियोजना पर कार्य तेजी से चल रहा है, जिससे भारत रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा।


रक्षा निर्यात और नीतिगत सुधार : रक्षा मंत्री ने बताया कि भारत का रक्षा निर्यात 2014 के 700 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में 24,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। साथ ही, सरकार ने 5,500 से अधिक रक्षा सामग्रियों के आयात पर रोक लगाकर उन्हें घरेलू उत्पादन की सूची में शामिल किया है। यह कदम स्वदेशी उद्योग को मजबूती देने और विदेशी निर्भरता घटाने की दिशा में अहम साबित हो रहा है।


महिला अधिकारियों की भूमिका : सम्मेलन में उन्होंने महिला अधिकारियों की भागीदारी को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि आज भारतीय महिला सैनिक लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं, नौसेना के युद्धपोतों का संचालन कर रही हैं और कठिन परिस्थितियों में सीमाओं की रक्षा कर रही हैं। यह भारत की बदलती सैन्य क्षमता और समावेशी सोच का प्रतीक है।

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