भोपाल | मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रालय में आयोजित मंत्रि-परिषद की बैठक में प्रदेश के बुनियादी ढांचे, महिला-बाल विकास, उच्च शिक्षा और कृषि से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं को प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई।
बड़वाह–धामनोद 4-लेन मार्ग को 2,508 करोड़ रुपये की मंजूरी : मंत्रि-परिषद द्वारा बड़वाह–धामनोद 4-लेन मार्ग (लंबाई 62.795 किमी) मय पेव्हड शोल्डर के निर्माण एवं उन्नयन के लिए 2,508 करोड़ 21 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। यह परियोजना हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM) के तहत भू-अर्जन सहित विकसित की जाएगी।
परियोजना के अंतर्गत 10 बायपास, 5 वृहद पुल, 23 मध्यम पुल, 12 VUP/SVUP, 7 वृहद जंक्शन और 56 मध्यम जंक्शन का निर्माण किया जाएगा। लागत का 40 प्रतिशत हिस्सा राज्य राजमार्ग निधि से वहन किया जाएगा, जबकि शेष 60 प्रतिशत राशि 15 वर्षों तक छमाही एन्युटी के रूप में राज्य बजट से दी जाएगी।
सक्षम आंगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 को 5 वर्षों की निरंतरता : मंत्रि-परिषद ने सक्षम आंगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 अंतर्गत संचालित योजनाओं और कार्यक्रमों को वित्त आयोग की अवधि 2026-27 से 2030-31 तक आगामी पांच वर्षों के लिए निरंतरता प्रदान करने की स्वीकृति दी।
इसमें पूरक पोषण आहार, शाला-पूर्व शिक्षा, आंगनवाड़ी भवन निर्माण, पोषण अभियान, किशोरी बालिकाओं की योजनाएं तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण शामिल है। यह योजना प्रदेश के 55 जिलों की 453 परियोजनाओं के अंतर्गत 97,882 आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से संचालित है।
विधि विश्वविद्यालय जबलपुर के द्वितीय चरण को 197 करोड़ रुपये : मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश धर्मशास्त्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, जबलपुर के द्वितीय चरण के भवन निर्माण के लिए 197 करोड़ 13 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई। इस चरण में प्रशासनिक एवं शैक्षणिक भवन, कुलगुरु व कुलसचिव आवास, 12 बहुमंजिला स्टाफ क्वार्टर और कैंपस बाउंड्रीवाल का निर्माण किया जाएगा। विश्वविद्यालय में वर्तमान में 720 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
तहसील व ग्राम स्तर पर मौसम निगरानी के लिए 434 करोड़ रुपये : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत WINDS कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए मंत्रि-परिषद ने 434 करोड़ 58 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की। इसके तहत प्रत्येक तहसील स्तर पर स्वचालित मौसम केंद्र और ग्राम पंचायत स्तर पर स्वचालित रेनगेज स्थापित किए जाएंगे।
इस व्यवस्था से मौसम आधारित सटीक आंकड़े उपलब्ध होंगे, जिससे फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन में गति आएगी और किसानों को समय पर लाभ मिल सकेगा।


