shailputri mata ki aarti
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है, जिसमें पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के दिव्य रूपों की उपासना की जाती है।(shailputri mata ki aarti)
हालांकि इस साल नवरात्र महज 8 दिन तक ही रहेंगे, जो 7 अक्टूबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर को समाप्त हो जाएंगे। शरद ऋतु में पड़ने वाली नवरात्रि को मुख्य नवरात्र माना जाता है। (shailputri mata ki aarti)
इस दौरान देशभर में धूम रहती है, खासतौर पर बंगाल और गुजरात जैसे राज्यों में इस त्योहार की सबसे अधिक रौनक देखने को मिलती है।(shailputri mata ki aarti)
जहां बंगला में दुर्गा पूजा के लिए खूबसूरत और आकर्षक पंडाल लगाए जाते हैं। वहीं गुजरात में जगह-जगह पर गरबा का आयोजन किया जाता है.(shailputri mata ki aarti)
shailputri mata ki aarti/शैलपुत्री माता की आरती
शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिटा दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
shailputri mata katha in Hindi/शैलपुत्री माता कथा
मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिमालय के वहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण हुआ शैलपुत्री। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। यही देवी प्रथम दुर्गा हैं। ये ही सती के नाम से भी जानी जाती हैं। उनकी एक मार्मिक कहानी है। (shailputri mata katha in Hindi)
एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को नहीं। सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है। (shailputri mata katha in Hindi)
शैलपुत्री माता कथा
सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा।(shailputri mata katha in Hindi)
शैलपुत्री माता कथा
वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। (shailputri mata katha in Hindi)
पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है। (shailputri mata katha in Hindi)
shailputri mata images /शैलपुत्री माता फोटो
shailputri mata mantra in hindi/शैलपुत्री माता मंत्र
मां शैलपुत्री के मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:
ह्रीं शिवायै नम:.
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् .
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥(shailputri mata mantra in hindi)
shailputri mata pooja vidhi / शैलपुत्री माता पूजन विधि
मां को अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प अर्पित करें. माता के मंत्रों का जप करें. घी से दीपक जलाएं. मां की आरती करें. शंखनाद करें. घंटी बजाएं. मां को प्रसाद अर्पित करें
shailputri mata ka bhog
नवरात्रि के पहले दिन देवी मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इस दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी चढ़ाया जाता है. (shailputri mata ka bhog) कहा जाता है कि इससे आरोग्य की प्राप्ति होती है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है.
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