राज्याभिषेक कार्यक्रम को लेकर दामाद का किया बचाव : दादा महाराज की पुत्रवधु भावना राजे का सामने आया बयान

Datia news : दतिया। कथित राज्याभिषेक कार्यक्रम हो जाने के बाद दतिया राजवंश में विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। जहां एक पक्ष ने इसे पूरी तरह फर्जी और परंपरा तोड़ने वाला बताया। वहीं दादा महाराज की पुत्रवधु अब दामाद के बचाव में उतर आई हैं। इसे लेकर गुरुवार को उनका एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।

उन्होंने हाल ही में राज्याभिषेक का आयोजन कराने वाले अपने दामाद राहुलदेव सिंह का बचाव करते हुए इसे लेकर उठाए जा रहे सवालों पर असंतोष जताया है।

दतिया रियासत के अंतिम शासक महाराज गोविंद सिंह के छोटे पुत्र दादा महाराज जसवंत की पुत्रवधु भावना राजे का इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो गुरुवार को प्रसारित हुआ है। जिसमें वह कहती नजर आ रही हैं कि उनके दामाद राहुलदेव सिंह द्वारा छह अप्रैल को जो आयोजन किया गया, उसका विरोध किया जाना अनुचित है।

भावना राजा ने कहा कि संविधान के अनुसार आजादी के बाद न कोई राजा है और न महाराजा है। हमारी ओर से भी मौखिक या लिखित तौर पर यह बात नहीं कही गई है। लेकिन हम अपने परिवार में किसी को भी कोई उपाधि से पुकार सकते हैं। यह अधिकार संविधान ने दिया है।

ऐसे में हमारे परिवार के सदस्यों को कोई राजा महाराजा जैसे सम्मानजनक शब्दों से संबोधित करता है तो किसी को क्या परेशानी या आपत्ति हो सकती है। अगर आपत्ति है तो उन लोगों को वह रोकें जिन्हें आपत्ति है।

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अपने बयान वाले वीडियो में भावना राजा ने कहा है कि उन्होंने अपने दामाद राहुलदेव सिंह को अपनी परंपरा को आगे बढ़ाने का उत्तरदायित्व सौंपा है। इसी नाते उनका तिलक किया गया।

इस पर आपत्ति जताने का किसी को अधिकार नहीं है। वहीं इसे लेकर किसी साक्ष्य की बात की जाएं तो वह मर्यादाओं के चलते उन्होंने सार्वजनिक करना उचित नहीं समझा है। लेकिन आवश्यकता पड़ी तो वो भी सार्वजनिक किए जाएंगे।

क्षत्रिय समाज के कड़े विरोध का करना पड़ रहा सामना : वहीं इस मामले में दतिया का क्षत्रिय समाज कड़ा रुख अपनाए हुए हैं। समाज के लोगों का कहना है कि जब विधिवत रुप से अप्रैल 2020 में ही अरुणादित्य को महाराज के रुप में मान्यता दी जा चुकी है, तब इस तरह के राज्याभिषेक का क्या औचित्य था।

इस आयोजन के विरोध में समाज पहले ही राहुलदेव सिंह और उनकी धर्मपत्नी परिणिताराजे को समाज से बाहर करने का भी निर्णय ले चुका है।

वहीं राजपरिवार के संरक्षक पूर्व विधायक घनश्याम सिंह भी इसतरह के सार्वजनिक आयोजन पर आपत्ति जता चुके हैं। क्षत्रिय समाज तो आयोजनकर्ताओं पर कार्रवाई को लेकर ज्ञापन तक सौंप चुका है।

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