यूपी बोर्ड में अब नहीं पढ़ाए जाएंगे टैगोर और राधाकृष्णन, बंगाल में मचा बवाल, जानें- पूरा मामला

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के कोर्स को लेकर सियासी हो हल्ला मच रहा है। अंग्रेजी के पाठ्यक्रम से नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर समेत कई जाने माने रचनाकारों की रचनाएं नहीं हैं।

रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी हटाए जाने से बंगाल में मुद्दा गरमा गया है। तृणमूल कांग्रेस इसे गुरुदेव का अपमान बताकर इसका जबरदस्त विरोध कर रही। वहीं, यूपी बोर्ड का दावा यही है कि उसने कोई बदलाव नहीं किया है।

सचिव दिब्यकांत शुक्ल कहते हैं कि हाईस्कूल तथा इंटरमीडिएट में हम एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू कर रहे हैं, जो एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में है वही पढ़ाया जाएगा। हम कुछ भी जोड़ घटा नहीं रहे हैं। बाजार में जो किताबें हैं वो बोर्ड से मान्य भी नहीं है।

डा. एस राधाकृष्णन की रचना भी नहीं : बाजार में एनसीईआरटी बेस्ड जो किताबें हैं, उनमें 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए रबींद्रनाथ टैगोर ही नहीं, पूर्व राष्ट्रपति डा. एस राधाकृष्णन की रचना भी नहीं है। टैगोर की कहानी द होम कमिंग पूर्व में 12वीं में पढ़ाई जाती थी।

डा. एस राधाकृष्णन का निबंध द वूमेंस एजुकेशन और एएल बाशम का द हेरिटेज आफ इंडिया भी किताबों में नहीं है। आरके नारायणन की कहानी एन एस्ट्रोलाजर्स डे और मुल्क राज आनंद की कहानी द लास्ट चाइल्ड भी विद्यार्थी नहीं पढ़ सकेंगे।

बात 10 वीं कक्षा की करें तो किताब से सरोजनी नायडू की कविता द विलेज सांग को भी हटा दिया है। सी राजगोपालाचारी, डब्ल्यूएम रायबर्न तथा आर श्रीनिवासन की रचनाएं भी हटाई गई हैं।

पहले कक्षा 12 वीं के सिलेबस में व्याकरण को छोड़कर चार किताबें थीं, लेकिन एनसीईआरटी सिलेबस की वजह से सिर्फ दो किताबें फ्लेमिंगो और विस्टा पढ़ाई जाएंगी।

द फ्लेमिंगो में अनीस जंग की लास्ट स्प्िरंग, विलियम डगलस की डीप वाटर और लुई फिशर की इंडिगो जो द लाइफ आफ महात्मा गांधी से ली गई हैं। कविता खंड में विद्यार्थी कमला दास, पाब्लो नेरुदा और जान कीट्स की कविताएं पढ़ सकेंगे।

10वीं की किताब में नए रचनाकार : कक्षा 10 वीं में फर्स्ट फ्लाइट के प्रोज सेक्शन में अफ्रीका के राष्ट्रपति रहे नेल्सन मंडेला, एन. फ्रैंक तथा एंटन चेखोव की रचनाएं हैं।

पोएट्री सेक्शन में राबर्ट फ्रास्ट, वाट व्हिटमैन और विलियम बटलर येट्स की रचनाओं को शामिल किया है। सप्लीमेंट्री बुक में रस्किन बांड, राबर्ट आर्थर, एचजी वेल्स तथा के ए अब्बास की रचनाएं हैं। 

बंगाल में मुद्दा गरमाया : यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम से गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी हटाए जाने का मुद्दा बंगाल में गरमाता जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस इसे गुरुदेव का अपमान बताकर इसका जबरदस्त विरोध कर रही है।

बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने इसपर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे सूबे की संस्कृति का अपमान बताया है। बसु ने कहा कि भाजपा को बंगाल की संस्कृति का महत्व पता ही नहीं है।

तृणमूल की छात्र इकाई की ओर से गुरुदेव के कोलकाता के जोड़ासांको स्थित जन्मस्थल पर इसे लेकर विरोध-प्रदर्शन किया गया। तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के नेता विश्वजीत दे ने कहा कि गुरुदेव द्वारा लिखी गई कहानी छूटी (छुट्टी) के अंग्रेजी अनुवाद को साजिश के तहत योगी सरकार ने यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम से हटाया है।

रवींद्रनाथ टैगोर विश्वकवि हैं। उनकी रचना को पाठ्यक्रम से हटाना सिर्फ बंगाल नहीं, बल्कि पूरे देश का अपमान है।

विश्वजीत दे ने आगे कहा कि जापान, कोरिया, चीन, बांग्लादेश समेत विभिन्न देशों से लोग रवींद्र साहित्य व रवींद्र संगीत पर अनुसंधान करने आते हैं। वे यहां आकर देखेंगे कि टैगोर के देश में ही उनकी उपेक्षा हो रही है।

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