नई दिल्ली : केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: परिवर्तनकारी सुधार के दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित नई पहलों का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान,
कौशल विकास एवं उद्यमिता और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर, शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी और डॉ सुभाष सरकार, और, शिक्षा और विदेश राज्यमंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिंह सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक महान भारत की रचना की नींव है और ये एक महान भारत की रचना का कारण बनने वाली है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश ज़मीन, नदियों, पहाड़ों या कारखानों से नहीं बनता है, बल्कि राष्ट्र उसके नागरिकों और जनता के संस्कृति और संस्कार से बनता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 प्रतिभावान नागरिक बनाने की मूल कल्पना के साथ बनाई गई है।
अमित शाह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने बहुत कम शब्दों में शिक्षा का उद्देश्य बताया था कि जो शिक्षा आमजन को जीवन के संघर्ष के लिए समर्थ नहीं बनाती है, बच्चे को चरित्रवान नहीं बनाती है, उसमें परोपकार का भाव और सिंह जैसा साहस पैदा नहीं करती है, वो शिक्षा कहलाने के लायक नहीं है। शिक्षा के इन सभी उद्देश्यों को सिद्ध करने के लिए मोदी ने बहुत मंथन के बाद इस अमृतरूपी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को निकाला है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति तीनों के प्रति दृष्टिकोण को सजग करते हुए मानव के समग्र विकास को थ्रस्ट देने वाली नीति है। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की ज़रूरत समझाते हुए कहा है कि 21वीं सदी ज्ञान की सदी है। ज्ञान, विज्ञान और शिक्षा में समग्र ब्रह्मांड को सम्मिलित करने की शक्ति और क्षमता है और ज्ञान मानवविकास की सभी गतिविधियों का स्रोत है। ज्ञान को बहुत अच्छे तरीक़े से देश के विकास के लिए चैनलाइज़ करने के लिए ये नई शिक्षा नीति लाई गई है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ये नई शिक्षा नीति ज्ञान और संस्कृति संवेदन के साथ ध्येय, समाज और अर्थव्यवस्था की मांग की परिपूर्ति करने वाली नीति है और इसके माध्यम से हमारे देश को महान बनाने वाले कई उद्देश्य सिद्ध होने वाले हैं।
29 जुलाई, 2020 के दिन नई शिक्षा नीति आई और इससे भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव का मार्ग प्रशस्त हुआ और ये अपने मूल उद्देश्यों की ओर आज बढ़ती हुई दिख रही है। देश में 1968 और 1986 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई थी और उसके बाद 2020 में आई।
लेकिन ये पहली शिक्षा नीति है जिसके विरोध में एक भी स्वर पूरे देश में कहीं भी सुनाई नहीं दिया और यही बताता है कि ये नीति देश की जड़ों के साथ जुड़ी है, सबको सम्मिलित करके और सबके सुझावों का सम्मान करते हुए इसे बनाया गया है।
लगभग ढाई लाख पंचायतें, 12,500 से ज़्यादा लोकल बॉडीज़, 675 ज़िले और 2 लाख से ज़्यादा कंक्रीट सुझावों में से विचार मंथन करके इस अमृत को निकाला गया है। ये मात्र एक नीतिगत दस्तावेज़ नहीं है बल्कि भारत के शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले शिक्षार्थियों, शिक्षाविदों और नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। देश के लोग कई वर्षों से पिछली शिक्षा नीति में बदलाव चाहते थे और ये बदलाव आज मोदी के नेतृत्व में हम देख पा रहे हैं।
अमित शाह ने कहा कि बीते दो सालों में शिक्षा नीति के बारे में एक व्यापक बज़ क्रिएट हुआ है और इसी में इस नीति की सफलता के बीज हैं। इसी बज़ में मैं एक वट वृक्ष और भारत को शिक्षा की दृष्टि से फिर एक बार विश्व में एक महाशक्ति बनते हुए देख रहा हूं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में ये स्पष्ट किया गया है
कि सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली ही जीवंत लोकतांत्रिक समाज का आधार होती है। इस शिक्षा नीति की जड़ें बेशक़ भारतीयता, भारतीय संस्कृति, भारतीय भाषाओं और भारतीय ज्ञान परंपराओं के साथ जुड़ी हैं लेकिन ये नीति दुनियाभर की आधुनिकताओं को अपनाने की क्षमता भी रखती है। इसके साथ-साथ ये शिक्षा नीति नए चिंतन का रास्ता भी खुला छोड़ती है।
इस नीति के माध्यम से डिजिटल और ग्लोबल दुनिया में भारत की शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप बहुत स्पष्ट कर दिया गया है। इस शिक्षा नीति में संकुचितता के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि इस नीति का एक प्रमुख उद्देश्य है ऐसे विद्यार्थियों को गढ़ना जो राष्ट्रगौरव के साथ-साथ विश्व कल्याण की भावना भी रखते हों, इसमें ओतप्रोत हों, और, सही अर्थों में ग्लोबल सिटीज़न बनने की क्षमता रखते हों। एक प्रकार से वसुधैव कुटुंबकम की भावना को चरितार्थ करना इस नीति में समाहित किया गया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्वभाषा को बहुत महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे देश और भाषा को मन की क्षमता और बुद्धि के साथ जोड़कर देखा गया है।
भाषा बुद्धि, मन, व्यक्ति की क्षमता और इसकी विचारने की क्षमता का परिचायक नहीं हो सकती, भाषा तो सिर्फ अभिव्यक्ति है। क्षमता और चिंतन कोई भी बच्चा अपनी मातृभाषा में ही सबसे अच्छा कर सकता है और यही हमारी नई शिक्षा नीति का एक आधार बिंदु है। इसके अभाव में हमने बहुत कुछ गंवाया है।
जब बच्चे की प्राथमिक शिक्षा किसी और भाषा में होती है, उसी वक्त उसकी मौलिक चिंतन क्षमता को हम कुंठित कर देते हैं और उसे समाज, उसके इतिहास, संस्कृति और जीवन पद्धति से एक प्रकार से काट देते हैं। इस शिक्षा नीति में यह थ्रस्ट दिया गया है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही होगी और इसीलिए त्रिभाषा के फार्मूले को भी इस शिक्षा पद्धति में बहुत वजन के साथ रखा गया है।
उन्होंने कहा कि अनुसंधान और मातृभाषा में शिक्षा पद्धति, इन दोनों के बीच बहुत गहरा रिश्ता है। अनुसंधान वही कर सकता है जो अपनी भाषा में सोचता हो क्योंकि उसकी मौलिक विचार क्षमता अपनी मातृभाषा में ही विकसित हो सकती है। अगर देश को R&D का हब बनाना है तो बच्चे की सोचने की प्रक्रिया अपनी मातृभाषा में होना बहुत जरूरी है।
अमित शाह ने कहा कि हमारी शिक्षा नीति सिर्फ सफल व्यक्ति नहीं चाहती बल्कि बड़े व्यक्ति चाहती है, जो व्यक्ति खुद को बड़ा बनाए। अगर खुद को बड़ा बनाना है तो उसकी चिंतन क्षमता, मन की क्षमता, स्मरण शक्ति, तार्किकता, विश्लेषण को बढ़ाना होगा,
उसकी निर्णायक क्षमता को धार देनी होगी, उसे डिसीजन मेकर बनाना पड़ेगा, नीति के बारे में सोचने की उसकी दृष्टि को जागृत करना होगा और नीति के आधार पर निर्णय लेकर क्रियान्वयन की क्षमता भी उसमें डालनी होगी। अगर यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती तो कोई भी व्यक्ति बड़ा व्यक्ति नहीं बन सकता।
उन्होंने कहा कि रटे रटाये ज्ञान से मार्क्स बढ़ सकते हैं, नौकरी मिल सकती है, मगर बड़ा बनना है तो चिंतन, तर्क, विश्लेषण, निर्णय, नीति और नीति का क्रियान्वयन, इस प्रक्रिया से हर व्यक्ति को प्रेरित होना ही पड़ता है। आज तक हमारी शिक्षा नीति के अंदर इसकी कोई व्यवस्था नहीं थी।
उन्होंने कहा कि यह हमारी भारतीय शिक्षा पद्धति का हिस्सा है कि व्यक्ति को बड़ा बनाना, उसको सर्वज्ञ बनाना और सर्वज्ञ बनाने के लिए उसके मन की क्षमता, सोचने की क्षमता, स्मृति को ज्यादा पैना बनाना और वह तभी हो सकता है जब हमारी मूल शिक्षा पद्धति के आधार पर शिक्षा की नींव रखी जाए।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह नीति एक ग्रंथ नहीं है बल्कि एक ग्रंथालय है और अपने आप में एक लाइब्रेरी है। इसके हर शब्द और वाक्य के पीछे बहुत गहरी सोच है और जिन्हें इसे जमीन पर उतारना है उन्हें भी इसे इसी दृष्टि से देखना चाहिए। यह प्रक्रिया ही बड़े नागरिक बना सकती है, मन की शांति को बढ़ा सकती है, नैतिकता का पौधा बच्चे के मन में आरोपित कर सकती है,
दूसरे की मदद करने की प्रकृति को जीवित कर सकती है, उसको जिम्मेदार बना सकती है, उसको हमेशा के लिए अपने आपको समाज, देश और दुनिया के लिए प्रस्तुत रखने का संस्कार दे सकती है। समग्र समाज के अंदर परिवर्तन इसी शिक्षा पद्धति से आएगा और इसमें भारतीय शिक्षा पद्धति के मूल भी हैं।
उन्होंने कहा कि हमें इसके इंप्लीमेंटेशन के लिए बहुत मेहनत करने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि ढर्रे को बदलना आसान नहीं होता और हमने ढर्रे को बदलने के चैलेंज को स्वीकार किया है। श्री शाह ने कहा कि इस नीति के 5 प्रमुख स्तंभ हैं- सामर्थ्य की वृद्धि, पहुंच, गुणवत्ता, निष्पक्षता और जवाबदेही। इन पांच प्रमुख स्तंभों पर यह पूरी शिक्षा का दस्तावेज बनाया गया है। इसमें शिक्षा की वर्तमान 10+2 की व्यवस्था को भी बदलने का प्रावधान है और बहुत सारे अन्य बदलाव किए गए हैं।
अमित शाह ने कहा कि इस शिक्षा नीति में स्कूल और उच्च शिक्षा के सिस्टम में 2025 तक कम से कम 50% विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। यह एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि एक बार अगर विद्यार्थी की नींव, रूचि तय हो जाए और उसे रोजगार के साथ जोड़कर अगर व्यावसायिक शिक्षण देते हैं,
तो वो अच्छा नागरिक बनकर अपने जीवन की जरूरतों को तो पूरा करेगा ही, साथ ही देश के विकास को भी गति देगा। नई शिक्षा नीति का पोषण तो भारतीय शिक्षण परंपरा से होता है मगर उसका दृष्टिकोण आधुनिक भी है और भविष्योन्मुख भी। इसका मूल भारतीय शिक्षा पद्धति में है लेकिन इसका परिणाम और दृष्टिकोण आधुनिक और भविष्योन्मुख रखा गया है।
हमें दुनिया के साथ चलना होगा। मन की क्षमता बढ़ाने के हमारे विज्ञान और शिक्षा पद्धति को मूल बनाते हुए दुनियाभर की आधुनिक विज्ञान और शिक्षा को स्वीकारने का भी हमारा बहुत बड़ा लक्ष्य होना चाहिए और यह नई शिक्षा नीति इसको भी स्पेस देती है।
उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं, कला, संस्कृति को हमने प्राथमिकता दी है। भारत के ज्ञान और अनुसंधान का फायदा सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि समग्र विश्व को मिलना चाहिए। यह तभी संभव है जब मल्टीडिसीप्लिनरी विश्वविद्यालयों और हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन अथवा क्लस्टर्स की स्थापना की जो अनुशंसा इस नीति में की गई है उन्हें इसी दृष्टिकोण के साथ डेवलप किया जाए।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि MERU (Multidisciplinary Education and Research University) की स्थापना भी इस लक्ष्य को सिद्ध करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगी क्योंकि ये मल्टीडिसीप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी एक महत्वपूर्ण अंग बनने वाला है। भारत को एक ग्लोबल स्टडी डेस्टिनेशन बनाने के लिए मेरु और यह मल्टीडिसीप्लिनरी यूनिवर्सिटी का बहुत बड़ा रोल आने वाले दिनों में होगा।
उन्होंने कहा कि हमने लक्ष्य रखा है कि 2030 तक प्रत्येक जिले या 2 जिलों के बीच एक मल्टीडिसीप्लिनरी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था और रिक्वायरमेंट को समझते हुए, हमारे देश की आबादी को कंसीडर करते हुए एक नई अर्थव्यवस्था बनाने का बीज भी इस नीति में मैं देख रहा हूं।
नॉलेज क्रिएशन और रिसर्च इन दो बिंदुओं पर इस शिक्षा नीति में बहुत महत्व दिया गया है। दुनिया के कंपैरिजन में यहां R&D बहुत कम है और नई एजुकेशन पॉलिसी ने इस पर भी थ्रस्ट देने का काम किया है। इससे हमारे अर्थतंत्र को जीवंत बनाने और हमारे समाज के साथ अर्थतंत्र का सही मायनों में जुड़ाव करने में बहुत बड़ी सफलता मिलेगी।
अमित शाह ने कहा कि राज्यों के सहयोग के बगैर हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सफल हो ही नहीं सकती। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो टीम इंडिया की एक कल्पना की है, यह राज्य और केंद्र नहीं है, केंद्र और राज्य मिलकर एक टीम बनती है वो ही टीम इंडिया है और अगर वह पूरी टीम इंडिया नहीं बनती है तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जमीन पर नहीं उतर सकती।
मेरा राज्य के सभी अधिकारियों से भी अनुरोध है कि आप अपने राज्यों में भी इस नई शिक्षा नीति को जमीन पर उतारने का रोड मैप बनाइए। प्राथमिक शिक्षा के अंदर निपुण भारत मिशन, विद्या प्रवेश, विद्यांजलि, निष्ठा, एफएलएन, सार्थक, समग्र शिक्षा का एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम, कौशल और व्यावसायिक शिक्षा, स्कूली शिक्षा का पुनर्गठन जैसे बहुत सारे इनीशिएटिव प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में लिए हैं और परिणाम भी मिले हैं।
ड्रॉपआउट रेशो को लगभग 4 गुना कम करने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी मोदी जी के नेतृत्व में बहुत प्रयास हुए हैं। उच्च शिक्षा में भी भारतीय भाषाओं को महत्व देने की शुरुआत हुई है। जेइई और नीट यूजी की परीक्षाएं 12 भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में आयोजित की गई हैं। इसी तरह से कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट भी 13 भारतीय भाषाओं में हुआ है।
10 राज्यों ने इंजीनियरिंग में भारतीय भाषा हिंदी, तमिल, कन्नड़, तेलुगू, मराठी और बंगाली को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि चाहे टेक्निकल एजुकेशन हो, मेडिकल एजुकेशन हो या कानून की शिक्षा हो, जब हम वह शिक्षा भारतीय भाषाओं में नहीं करते हैं तब हम देश की क्षमता का 5% उपयोग करते हैं। 95% बच्चों ने अपनी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा ली है।
उन्होंने कहा कि हमने अपनी क्षमताओं को सीमित कर दिया है। रिसर्च एंड डेवलपमेंट हो या मेडिकल साइंस को आगे बढ़ाना है और अगर 100 बच्चे उपलब्ध है तो उसमें से आपने पांच बच्चों पर ही हाथ रख दिया। अगर यह ज्ञान भारतीय भाषा में उपलब्ध है तो शत-प्रतिशत क्षमता का उपयोग देश के विकास के लिए हो सकता है। उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी जी को बधाई देना चाहूंगा कि इंजीनियरिंग और मेडिकल के कोर्स को और अब कोर्ट में भी भारतीय भाषाओं की शुरुआत हो रही है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमने हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन की स्थापना में 6 केंद्रीय विश्वविद्यालय बढ़ाएँ हैं, 7 आईआईटी, 7 आईआईएम, 16 आईआईआईटी, 15 एम्स, 209 मेडिकल कॉलेज और कुल विश्वविद्यालय 302 बढ़ाने का काम केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है।
कॉलेजों की संख्या में 5700 की वृद्धि की और यही दर्शाता है कि नरेंद्र मोदी सरकार का थ्रस्ट प्राइमरी एजुकेशन से लेकर हायर एजुकेशन और प्राइमरी एजुकेशन से लेकर टेक्निकल और मेडिकल एजुकेशन पर समग्रता से है। मैं यह इसलिए बताना चाहता हूं कि यह खाका बनाने का काम इस देश में आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष तक समाप्त कर दिया गया है।
अब इस इंफ्रास्ट्रक्चर का अगर महत्तम उपयोग करना है तो वह हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के इंप्लीमेंटेशन से ही हो सकता है और क्युमूलेटिव इफेक्ट से हमें फायदा मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि यह 2 साल नए भारत की नींव डालने के 2 साल हैं, नए भारत की कल्पना जिसका मूल भारतीयता में होगा परंतु वह वृक्ष दुनिया भर की आधुनिकता,
ज्ञान और विज्ञान को स्वीकारने की मानसिकता के साथ आगे बढ़ता होगा, ऐसे भारत की रचना के लिए यह 2 साल बहुत महत्वपूर्ण हैं। मोदी जी यह नई शिक्षा नीति लाए हैं वह आत्मनिर्भर, सशक्त, समृद्ध और सुरक्षित भारत की नींव है। यह शिक्षा नीति जो मोदी जी लाए हैं ये हर बच्चे तक पहुंचकर उसका भविष्य संवारने का एक बहुत बड़ा साधन है। बच्चे को सर्वज्ञ बनाने का, बच्चे को बड़ा व्यक्ति बनाने का, एक अच्छा इंसान बनाने का एक माध्यम है और हमें इसमें कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए।