केंद्र ने तेलंगाना में चावल खरीद अभियान को किया बहाल ,गोयल बोले – किसानों को दिलाएंगे उनका हक !

नई दिल्ली  : केंद्र ने निर्णय किया है कि केंद्रीय हिस्से (एफसीआई और डीसीपी के अंतर्गत राज्य द्वारा) के मद्देनजर तेलंगाना में चावल खरीद अभियान को बहाल कर दिया जाये। उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, वाणिज्य और उद्योग तथा कपड़ा मंत्री  पियूष गोयल ने यहां मीडिया कर्मियों को सम्बोधित करते हुये यह बात कही।

 गोयल ने तेलंगाना सरकार की आलोचना करते हुये कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र द्वारा लगातार ध्यानाकर्षित करने के बावजूद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत अप्रैल और मई माह का राशन निर्धनजनों को वितरित नहीं किया है।

गोयल ने गरीबों और किसानों के लिये केंद्र की चिंता और प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि पीएमजीकेएवाई के जरिये, केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि किसी भी गरीब का हक न मारा जाये और उन्‍हें उसके पूरे अधिकार मिलें। 

गोयल ने कहा, “तेलंगाना सरकार ने अप्रैल और मई, 2022 के मद्देनजर डीसीपी स्टॉक से पर्याप्त मात्रा (1.90 लाख मीट्रिक टन) में अनाज उठाया है, लेकिन उसे वितरित नहीं किया है। इस तरह केंद्रीय योजना के लाभार्थियों को लाभों से वंचित कर दिया गया है।”

एक केंद्रीय दल ने मौके पर जाकर धान के भंडारण की जांच की थी। गोयल ने दल द्वारा दी गई सूचना को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2022 को चूक-कर्ता चक्की मालिकों की सूची तैयार की गई थी। सूची में वे चक्की मालिक शामिल थे, जिनके यहां धान की कमी थी।

इसके विषय में तेलंगाना राज्य सरकार को भी सूचित कर दिया गया था, ताकि वह फौरी कार्रवाई करे, क्योंकि 40 मिलों में 4,53,896 बोरे कम पाये गये थे। इसके बाद 21 मई, 2022 को दूसरे सर्वेक्षण के बारे में भी राज्य सरकार को बताया गया, जिसके अनुसारः 63 मिलों में कुल 1,37,872 बोरे कम पाये गये,

यानी केएमएस 2020-21 (रबी) के हवाले से 12 मिलों, केएमएस 2021-22 (खरीफ) के हवाले से 51 मिलों और 593 मिलों, यानी केएमएस 2020-21 (रबी) की 101 मिलें तथा केएमएस 2021-22 (खरीफ) के हवाले से 492 मिलों में गड़बड़ी थी। धान के भंडारण आंकने योग्य न था, जिसके कारण धान के स्टॉक की मौके पर पुष्टि न हो सकी।

उल्लेखनीय है कि तेलंगाना सरकार के नागरिक आपूर्ति आयुक्त और कार्यवाहक सचिव ने चार अक्टूबर, 2021 को अपने पत्र द्वारा आश्वस्त किया था कि “केएमएस-2020-21 के दौरान धान/चावल की भौतिक पुष्टि के समय आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिये,

राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि स्टॉक को हमेशा मूल्यांकन करने की स्थिति में रखा जाये और साथ ही उसका पूरा हिसाब-किताब भी रखा जाये। इसके विषय में मानक संचालन प्रक्रिया का भी पालन किया जायेगा।” बहरहाल, जिन मिलों में कमी पाई गई है, उन मिल मालिकों के खिलाफ राज्य सरकार ने अब तक कोई सख्त कार्यवाई नहीं की है।

गोयल ने बताया कि 20 प्रतिशत तक के एथेनॉल मिश्रण के लिये तेलंगाना को 36 करोड़ लीटर अतिरिक्त वार्षिक क्षमता की जरूरत है। लेकिन, राज्य सरकार ने इसका प्रसंस्करण नहीं किया। उन्होंने कहा कि एथेनॉल के प्रसंस्करण से किसानों को मदद मिल सकती थी,

युवाओं के लिये रोजगार पैदा हो सकते थे और निवेश को भी लाया जा सकता था। इससे पेट्रोलियम के आयात को कम करने में भी मदद मिल सकती थी और इस तरह विदेशी मुद्रा की बचत हो सकती थी। गोयल ने तेलंगाना सरकार से आग्रह किया कि वह गरीबों के प्रति किये गये वायदे को पूरा करे, ताकि लाभार्थियों तक उनका हक पहुंच सके।

तेलंगाना राज्य ने खरीद के सम्बंध में विकेंद्रीकृत प्रणाली को अपनाया है, जिसमें राज्य सरकार, केंद्र सरकार की ओर से धान की खरीद करती है। राज्य अपनी एजेंसियों के जरिये किसानों से धान खरीदता है। धान की कुटाई के बाद जो चावल निकलता है, राज्य उसे एनएफएसए/ओडब्लूएस के तहत अपनी खपत के लिये रख लेता है। चावल का केवल बेशी स्टॉक ही केंद्रीय हिस्से के तौर पर भारतीय खाद्य निगम को सौंपा जाता है। केंद्रीय योजनाओं के लिये खरीद और वितरण में लगने वाला सारा खर्च केंद्र सरकार वहन करती है।

प्रक्रियानुसार, धान के स्टॉक की भौतिक पुष्टि राज्य सरकार और एफसीआई का संयुक्त दल करता है। वह राज्य सरकार द्वारा की गई घोषणा के आलोक में धान और चावल की उपलब्धि की जांच करता है। भौतिक पुष्टिकरण के दौरान विभिन्न मिलों में धान के स्टॉक में कमी पाई गई।

लिहाजा, राज्य सरकार से निवेदन किया गया कि उन चूक-कर्ता मिल मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाये, जिनके यहां पुष्टि करते समय धान की कमी पकड़ी गई। बहरहाल, जून माह तक राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।

तेलंगाना सरकार के नागरिक आपूर्ति विभाग ने अप्रैल 2022 से शुरू होने वाले प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना-छठवें चरण के तहत वितरण के लिये भूसी वाला चावल उठाया था। इस योजना के तहत केंद्र सरकार मुफ्त अनाज प्रदान करती है, ताकि कोविड-19 महामारी की मार झेलने वाले लोगों की कठिनाईयां कम हो सकें;

हालांकि जून माह की शुरूआत तक लाभार्थियों को यह अनाज वितरित नहीं किया गया था। इसके अलावा, राज्य सरकार ने एथेनॉल बनाने के लिये राज्य में डिस्टलरियां स्थापित करने के लिये दिये गये आवेदनों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की है।

उपरोक्त मुद्दों पर राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण यह तय किया गया कि केंद्रीय हिस्से में चावल की आपूर्ति बंद कर दी जाये। यह निर्णय तेलंगाना में सात जून से प्रभावी हो गया है। यह तब तक लागू रहेगा, जब तक राज्य सरकार कोई ठोस कार्रवाई शुरू नहीं कर देती।

तेलंगाना सरकार ने अब सूचित किया है कि उसने चूक-कर्ता चावल मिल मालिकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है और इसे हर चूक-कर्ता के खिलाफ चलाया जायेगा। इसके अलावा, तेलंगाना के मुख्य सचिव ने सूचित किया है कि पीएमजीकेएवाई छठवें चरण योजना के तहत भूसी वाले चावल का वितरण शुरू कर दिया गया है।

उन्होंने आश्वस्त किया कि एनएफएसए के साथ पूरी आबंटित मात्रा वितरित कर दी जायेगी। राज्य सरकार ने एथेनॉल बनाने के लिये डिस्टिलरियों की स्थापना सम्बंधी आवेदनों पर जल्द कार्रवाई शुरू करने के निर्देश जारी कर दिये हैं।

राज्य सरकार द्वारा दिये गये आश्वासन और तदुपरान्त की जाने वाली कार्रवाई के मद्देनजर तथा किसानों और पिसाई उद्योग के हितों को सुरक्षित करने के लिये केंद्र सरकार ने केंद्रीय हिस्से में चावल की आपूर्ति बहाल कर दी है। केंद्र सरकार हमेशा किसानों के हितों की रक्षा के लिये समर्पित है और उनके कल्याण के लिये प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार को सलाह दी गई है कि वह उपरोक्त मुद्दों पर सच्ची भावना से अपने आश्वासनों को पूरा करे, क्योंकि ये विषय किसानों तथा मिलों के हित में है।

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