पटना : राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेतृत्व अब तेजप्रताप के और नखरे नहीं झेल पाएगा। उन्हें साफ संकेत किया जा रहा है कि रवैया बदलें या पार्टी से बाहर का रास्ता देखें।खबर है कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद भी उनके साथ नरमी नहीं दिखा रहे हैं।
पहले से क्षुब्ध चल रहे तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को उनके प्रति नाराजगी दिखाई। उनसे बातचीत पूरी किए बगैर वह घर से बाहर निकल गए। इस दौरान लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के बीच शनिवार को मुलाकात तय है।
तेजस्वी और संजय यादव शुक्रवार को ही दिल्ली चले गए हैं। तेजप्रताप ने तेजस्वी की बेरुखी की जिम्मेदारी उनके सलाहकार संजय यादव पर थोप दी है। उधर, तेजप्रताप की उस धमकी को नजरअंदाज कर दिया गया कि वह पार्टी के कार्यक्रमों में नहीं जाएंगे। प्रदेशाध्यक्ष जगदानंद ने कहा कि उन्हें बुला ही कौन रहा है।
गौरतलब है कि पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष जगदानंद से नाराज चल रहे लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप शुक्रवार दोपहर अपने छोटे भाई व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी से मिलने पूर्व मुख्यमंत्री व अपनी मां राबड़ी देवी के आवास पर गए। आने के कुछ ही देर बाद ही गुस्से में बाहर निकल गए।
आवास के बाहर खड़े संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि संजय यादव ने तेजस्वी से मिलने से रोक दिया। हमारी बातचीत शुरू भी नहीं हुई थी कि संजय यादव पहुंच गए। वह तेजस्वी को लेकर बाहर निकल गए। उन्होंने कहा कि संजय यादव मुझे रोकने वाला कौन होता है। वह हम भाइयों के बीच आ रहा है। वह हम दोनों को लड़वा रहा है।
हालांकि, प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि तेजप्रताप अपने भाई से भी उलझने के मूड में ही गए थे। वह जगदानंद सहित पार्टी के कई नेताओं के प्रति गलत शब्द बोल रहे थे। इतने गुस्से में थे कि अगर तेजस्वी को संजय बाहर नहीं निकाल ले जाते तो अप्रिय स्थिति पैदा हो सकती थी।
लालू से भी राहत की उम्मीद नहीं : सूत्रों ने बताया कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद भी तेजप्रताप को अधिक तरजीह देने के मूड में नहीं हैं। तेजस्वी से पहले तेजप्रताप ने लालू प्रसाद से दिल्ली जाकर मिलने का समय मांगा था। लालू राजी नहीं हुए।
परिवार में तेजप्रताप का आकलन इस हिसाब से किया जा रहा है कि इनकी हरकतों से पार्टी को प्रतिदिन कुछ न कुछ नुकसान ही हुआ है। पार्टी के कई बड़े नेताओं का इन्होंने अपमान किया है।
समझा जाता है कि शनिवार को लालू प्रसाद से मुलाकात के दौरान तेजस्वी उन्हें बताएंगे कि तेजप्रताप की हरकतों को बर्दाश्त करना राजद के लिए आत्मघाती होगा। समझा कर शांत रखने की गुंजाइश नहीं बनने पर तेजप्रताप को पार्टी से अलग कर देना ही मुनासिब होगा।