रायपुर : छत्तीसगढ़ मछली बीज उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यो में शामिल है। अब यहॉ मछली अनुसंधान के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की इकाईया भी आगे आ रही है। राजधानी रायपुर से लगे ग्राम रामपुर में थाईलैंड के वैज्ञानिकों के तकनीकी सहयोग से मछली अनुसंधान केन्द्र स्थापना की गई है। राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के मुुख्य कार्यकारी ( Chief Executive ) डॉ. सी. सुवर्णा यहॉ दो दिवसीय दौरे के दौरान छत्तीसगढ़ पहॅुची हैं। डॉ. सी. सुवर्णा ने जिला बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के ग्राम रामपुर में संचालित मछली पालन उक्त की एक्वा जेनेटिक केन्द्र का अवलोकन किया। साथ ही डॉ. सुवर्णा ने इसी जिले के सिमगा विकासखण्ड के ग्राम बाईकोनी में स्थित प्रतिदिन 100 टन उत्पादन की क्षमता वाले वृहद निजी मत्स्य आहार केन्द्र का शुभारंभ भी किया। यह मंडल एक्वाटेक प्राइवेट लिमिटेड स्थापित किया जा रहा है। डॉ. सुवर्णा ने मत्स्य पालन के क्षेत्र मे महिला समूहों और किसानों से मुलाकात की और उनका उत्साह वर्धन किया।
मुुख्य कार्यकारी डॉ. सुवर्णा ने छत्तीसगढ़ में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यो की सराहना की और छत्तसीगढ़ में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के बेहतर क्रियान्वयन पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंनें मछली पालन के लिए छत्तीसगढ़ को मिले दो राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी। डॉ. सुवर्णा ने कहा की यह बहुत अच्छी बात है कि छत्तीसगढ़ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के हर घटक पर तेजी से और वैज्ञानिक तरीके से प्रगति कर रहा है। यहा महिला समूहों द्वारा जो खुले खदानों में मत्स्य पालन का कार्य प्रेरणादायी है।
गौरतलब है कि एक्वा जेनेटिक के इस केन्द्र की स्थापना एम हेचरी रायपुर एवम् मनीत ग्रुप थाईलैंड के संयुक्त उपक्रम द्वारा की गई है। इस अनुसंधान केन्द्र में थाईलैंड के वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ ही प्रशिक्षण भी देंगें। लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में फैले इस अनुसंधान केन्द्र में मछली के जेनेटिक्स पर अनुसंधान के साथ-साथ तिलापिया मछली बीज का उत्पादन भी किया जा रहा है। इसके अलावा यहॉ मत्स्य कृषकों को मछली पालन के अत्याधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। निजी क्षेत्र में स्थापित होने वाला छत्तीसगढ़ और देश में अपने तरह का यह पहला केन्द्र है।
ग्राम रामपुर में स्थापित अनुसंधान केन्द्र से छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश के किसानों को उन्नत किस्म के मछली के बीज की की आपूर्ति हो सकेगी। इससे छत्तीसगढ़ मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से प्रगति करेगा। इसके इलावा वृहद मत्स्य आहार केन्द्र के प्रारंभ होने से प्रदेश के किसानों को स्थानीय स्तर पर कम दर पर मत्स्य आहार प्राप्त हो सकेगा।
राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड कीे सीई डॉ. सुवर्णा ने सिमगा विकासखण्ड के ग्राम खेरवारी महिला स्व-सहायता समूह द्वारा बंद हो चुके खदानों में केज कल्चर विधि से किये जा रहे मछली पालन का भी अवलोकन किया। समूह द्वारा यहॉ मछली पालन के लिए 12 केज तैयार किये गए इस प्रोजेक्ट की लागत 36 लाख रूपए है। इसके लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 60 प्रतिशत और डी.एम.एफ से 40 प्रतिशत अनुदान दिया गया है। अपने प्रवास के दौरान उन्होंनें रायपुर जिले के तिल्दा विकासखण्ड के ग्राम पीकरीडीह स्थित वृहद बायोफ्लोक यूनिट का का भी अवलोकन किया। उल्लेखनीय है कि इसकी स्थापना के लिए कृषक श्रीमति अंजू मिश्रा को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 60 प्रतिशत राशि अनुदान मिला है इस इकाई की कुल लागत 50 लाख रूपए हैं। इस इकाई में तीलापाईया और सिंगीं मछली का पालन किया जा रहा है।