नई दिल्ली : पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) 1 से 30 नवंबर, 2025 तक राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (DLC) अभियान 4.0 आयोजित करेगा। इस दौरान देश के 1850 से अधिक जिलों, शहरों और कस्बों में लगभग 2500 स्थानों पर शिविर लगाए जाएंगे। यह अब तक का सबसे बड़ा अभियान होगा, जिसमें चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक के माध्यम से पेंशनभोगियों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाया जाएगा। लक्ष्य 2 करोड़ डीएलसी जमा करने का है, जिसके लिए विभाग ने “परिपूर्णता मॉडल” अपनाया है।
पिछले वर्ष के परिणाम और इस वर्ष का विस्तार : नवंबर 2024 में आयोजित अभियान 3.0 के दौरान 845 शहरों में 1.62 करोड़ डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जमा किए गए थे। इस बार अभियान का दायरा दोगुना से अधिक बढ़ाया गया है। इसके लिए 30 जुलाई 2025 को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
साझेदार संगठन और उनकी भूमिका : अभियान में पेंशन संवितरण बैंक, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB), पेंशनभोगी कल्याण संघ, रक्षा लेखा महानियंत्रक (CGDA), दूरसंचार विभाग, रेलवे, डाक विभाग, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), UIDAI और इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय मिलकर भाग लेंगे।
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IPPB — 1.8 लाख डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों के माध्यम से 1600 डाकघरों में शिविर आयोजित करेगा और घर-घर डीएलसी सेवाएं देगा।
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19 पेंशन वितरण बैंक — 315 शहरों में 900 से अधिक शिविर स्थान उपलब्ध कराएंगे।
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57 पेंशनभोगी कल्याण संघ — पेंशनभोगियों को शिविरों तक पहुंचाने में सहयोग करेंगे।
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विभिन्न मंत्रालय/विभाग — चिन्हित स्थानों पर विशेष शिविर आयोजित करेंगे।
राज्यवार शिविरों की संख्या
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उत्तर प्रदेश — 170
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मध्य प्रदेश — 127
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बिहार — 114
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ओडिशा — 110
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महाराष्ट्र — 106
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पश्चिम बंगाल — 102
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कर्नाटक — 97
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राजस्थान — 95
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तमिलनाडु — 85
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अन्य राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश — कुल 1858 स्थान
बैंकवार शिविरों की संख्या
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भारतीय स्टेट बैंक — 82
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पंजाब नेशनल बैंक — 31
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बैंक ऑफ इंडिया — 27
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इंडियन बैंक — 24
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बैंक ऑफ बड़ौदा — 24
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यूनियन बैंक ऑफ इंडिया — 20
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बैंक ऑफ महाराष्ट्र — 16
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सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया — 16
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अन्य बैंक — कुल 315 स्थान
अभियान का उद्देश्य : इस पहल का मुख्य उद्देश्य पेंशनभोगियों को नवंबर माह में अनिवार्य रूप से जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की प्रक्रिया को आसान बनाना है, ताकि उन्हें बैंक शाखाओं या सरकारी दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें। साथ ही, चेहरा पहचान तकनीक के इस्तेमाल से बुजुर्ग पेंशनभोगियों के लिए प्रक्रिया अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित होगी।