दतिया । पूर्व कोतवाली थाना प्रभारी धनेद्रसिंह भदौरिया ने दो आरक्षकों के साथ गुरुवार दोपहर स्थानीय न्यायालय में सरेंडर कर दिया। पूर्व कोतवाली टीआई भदौरिया के ऊपर वर्ष 2012 में वकील मोहर सिंह कौरव के घर घुसकर में मारपीट करने तथा लूटपाट करने के संगीन अपराध को कोर्ट ने संज्ञान में लिया था। इस संबंध में एक निजी याचिका दायर की गई थी। आरोपितों के विरुद्ध न्यायालय ने वारंट भी जारी कर दिया था। इसके बाद वे काफी लंबे समय से फरार थे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से भी आरोपितों को अग्रिम जमानत नहीं मिल पाई थी।
बताया जाता है कि पूर्व कोतवाली थाना प्रभारी धनेद्रसिंह भदौरिया वारंट के बावजूद फरारी के दौरान काफी समय तक थाना प्रभारी पद पर बने रहे थे। इसी दौरान तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गुरुकरण सिंह ने उन्हें निलंबित कर दिया था। उसके बाद से ही वह फरार घोषित किए गए थे। गुरूवार को अचानक अपने वकील के साथ वह कोर्ट में पेश हुए। इनके साथ दो अन्य आरोपित आरक्षकों ने भी कोर्ट में सरेंडर किया है।
उल्लेखनीय है कि अभिभाषक मोहर सिंह कौरव ने इस संबंध में एक याचिका कोर्ट में लगाई थी, तभी से ये तीनों पुलिसकर्मी फरार चल रहे थे। उसके बावजूद भी अधिकारियों की मेहरबानी से इनकी पदस्थापना अनेक जगह की गई थी। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी बयान देकर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कोतवाली का प्रभार फरार घोषित टीआई को दिए जाने पर सवाल भी खडे़ किए थे।
इस मामले में फरार थे टीआई व आरक्षक
वर्ष 2012 में वकील मोहर सिंह कौरव के घर रात में पहुंचकर टीआई व आरक्षकों ने मारपीट की थी। इस मामले में वकील कौरव ने एक निजी याचिका दायर कर टीआई सहित कुछ अन्य पुलिस कर्मियों द्वारा उनके घर में जबरन घुसकर मारपीट करने और लूटपाट करने संबंधी आरोप लगाए थे। इस मामले को कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए आरोपित टीआई और आरक्षकों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। वहीं आरोपित अपनी जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट तक कोशिश कर चुके थे। जहां अग्रिम जमानत न मिलने पर वह गुरूवार को कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचे थे। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।