बिजली संकट पर राज्यों में ‘हाय-तौबा’: सरकार ने बताई वजह, जानें खदानों में कितना बचा है कोयला और क्यों पैदा हुआ संकट

नई दिल्ली : कई राज्यों की तरफ से बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी की शिकायतों के बाद केंद्र सरकार ने दावा किया है कि देश में कोयले की कोई समस्या नहीं है। देश के सभी ताप बिजली घरों में कम से कम चार दिनों का कोयला है और आपूर्ति की स्थिति लगातार सुधर रही है।

रविवार को केंद्रीय बिजली और कोयला मंत्रालय में अलग-अलग और एक साथ कई स्तरों पर कोयला आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की गई। बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा कि कोयले की कमी से देश में बिजली संकट की आशंका पूरी तरह आधारहीन है। केंद्र के इन दावों के बावजूद दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बिजली की कमी होने की सूचना है। आरके सिंह ने सभी ताप बिजली संयंत्रों में कोयले की स्थिति की समीक्षा करने के बाद कहा कि पिछले चार दिनों से कोयला आपूर्ति में भारी सुधार हुआ है।

शनिवार (नौ अक्टूबर) को कोल इंडिया और सिंगरेनी कोइलरीज कंपनी के अलावा आयातित व निजी कंपनियों की खदानों से कुल 19.2 लाख टन कोयला रवाना किया गया, जबकि उस दिन खपत सिर्फ 18.7 लाख टन कोयले की थी। यानी मांग से ज्यादा कोयले की आपूर्ति होने लगी है। इसमें और सुधार होगा जिससे ताप बिजली संयंत्रों के पास कोयले का स्टाक बढ़ेगा।

देश में 80 फीसद कोयला खनन करने वाली कंपनी कोल इंडिया के पास अभी चार करोड़ टन कोयला है जो अगले कुछ दिनों में बिजली घरों के पास पहुंच जाएगा। कोयला मंत्रालय ने मौजूदा संकट के लिए मानसून के महीनों में बिजली की मांग में भारी वृद्धि और कोयला आपूर्ति बाधित होने को वजह बताया है।

बिजली की मांग में सितंबर तक 24 फीसद की वृद्धि हुई जिसकी वजह से कोयले की खपत ज्यादा हो गई। अगस्त-सितंबर में बिजली घरों में रोजाना 18.5 लाख टन कोयले की जरूरत थी जबकि आपूर्ति 17.5 लाख टन रही। यह अंतर बढ़ता रहा और ज्यादातर ताप बिजली घरों के पास कोयले का स्टाक कम होता गया।

कोयला मंत्रालय ने यह भी बताया कि सामान्य से ज्यादा बारिश होने के बावजूद कोल इंडिया ने पहली छमाही में 25.5 करोड़ टन कोयले की आपूर्ति की जो बिजली क्षेत्र को पहले छह महीने में अभी तक की गई सबसे बड़ी आपूर्ति है। सिर्फ कोल इंडिया की तरफ से अभी रोजाना 15 लाख टन कोयले की आपूर्ति की जा रही है जो कुछ दिनों में बढ़कर 16 लाख टन हो जाएगी। दूसरे स्त्रोतों से तीन लाख टन कोयले की आपूर्ति की जा रही है, इसमें और वृद्धि होगी।

कोल इंडिया को बिजली घरों के अलावा 2.5 लाख टन कोयला अल्यूमीनियम, स्टील, सीमेंट जैसे उद्योगों को भी देना पड़ता है। बिजली मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि बिजली की मांग अक्टूबर के अंत तक बढ़ने की संभावना है, उम्मीद है उसके पहले कोयला आपूर्ति की स्थिति काफी सुधर जाएगी।

उन्होंने कहा कि एनटीपीसी और डीवीसी से कहा गया है कि वे दिल्ली में बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) की मांग के मुताबिक बिजली की आपूर्ति करें। गैस कंपनी गेल से कहा गया है कि वह दिल्ली को पर्याप्त गैस आपूर्ति सुनिश्चित करे और जहां से भी गैस खरीद सकता है, खरीदे। साथ ही डिस्काम को चेतावनी दी गई है कि अगर किसी बिजली वितरण कंपनी ने पर्याप्त बिजली होने के बावजूद बिजली खरीद समझौते के मुताबिक आपूर्ति नहीं की तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

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