भारत की आबादी को दुनिया वरदान के रूप में देखती है : इसमें भविष्य का बाजार बनने की क्षमता है – वाणिज्य मंत्री गाेयल

New Delhi News : नईदिल्ली । भारत को अपने आप को दुनिया के बैक-ऑफिस तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि विश्व का फ्रंट-ऑफिस बनने की आकांक्षा रखनी चाहिए। यह बात केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, मंत्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक को संबोधित करते हुए कही।

गोयल ने फिक्की से कहा कि वह खुद को फिर से अविष्कृत करे और खुद को दिन-प्रतिदिन के उद्योग के मुद्दों के लिए अधिवक्ता होने के बजाय एक विशेषज्ञ समूह बनने की इच्छा रखें। उन्होंने संगठन से व्यापार में वैश्विक रुझानों और पैटर्न का अध्ययन करने तथा इन विकासों से जुड़ने के लिए सार्थक एवं प्रभावी साधन खोजने के लिए कहा।

गोयल ने कहा कि दुनिया को न केवल निकट भविष्य के लिए बल्कि लंबी अवधि के लिए भारत से बहुत आशाएं हैं। उन्होंने कहाकि विश्व को आशा है कि भारत वैश्विक विकास को गति देगा, दुनिया को आवश्यक प्रतिभा पूल प्रदान करेगा और प्रौद्योगिकी परिवर्तन का नेतृत्व करेगा।

मंत्री ने कहाकि दुनिया भर में कंपनियां भारत में विनिर्माण संयंत्र और अनुसंधान एवं विकास सुविधाएं स्थापित करने की योजना बना रही हैं और आशा है कि वे बड़ी संख्या में अपने युवा एवं प्रतिभाशाली कार्यबल को नियुक्त करेंगे।

भारत की आबादी को दुनिया वरदान के रूप में देखती है : मंत्री गोयल ने कहाकि भारत की बड़ी आबादी को अब दुनिया एक वरदान के रूप में देखती है। क्योंकि इसमें भविष्य का बाजार बनने की क्षमता है। उन्होंने याद दिलाया कि एक समय था जब भारत के लोग जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे भोजन, वस्त्र और आवास के बारे में चिंतित रहते थे।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हर एक नागरिक के पास बिजली, रसोई गैस, स्वच्छ पानी और इंटरनेट कनेक्टिविटी, शौचालय, सड़क संपर्क आदि के साथ एक अच्छा घर सुनिश्चित कर लोगों का जीवन बेहतर बनाने के प्रयास हाे रहे हैं। सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत 80 करोड़ से अधिक लोगों को खाद्यान्न की आपूर्ति की है।

मुद्रास्फीति को मध्यम स्तर पर रखने में हुए सफल : मंत्री गोयल ने आश्वासन दिया कि सरकार व्यापक आर्थिक संकेतकों को मजबूत रखने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहाकि लगभग एक दशक पहले भारत में एक समय था, जब दोहरे अंकों की मुद्रास्फीति को सामान्य माना जाता था।

उन्होंने कहाकि सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक को अनिवार्य रूप से मुद्रास्फीति को लक्षित करने और इसे 2 से 6 प्रतिशत के बीच रखने के लिए निर्देशित किया है। उन्होंने कहाकि जहां कई विकसित देश मुद्रास्फीति की ऊंची दरों की समस्या से जूझ रहे हैं।

वहीं भारत सफलतापूर्वक मुद्रास्फीति को मध्यम स्तर पर रखने में सफल रहा है। आरबीआई के पास व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए अब एक समग्र दृष्टिकोण मौजूद है।

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