आजमगढ़ । 1200 की आबादी वाले सुराई गांव में 40 डाक्टर हैं। डाक्टरों ने यहां कोरोना संक्रमण से बचाव को जागरुकता की अमिट लक्ष्मण रेखा खींची है। यही वजह है कि कोरोना की दूसरी लहर में भी धरती के भगवान का यह गांव संक्रमण से सुरक्षित है। जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर सुराई को लोग एक दशक पहले तक फकीरों का गांव जानते थे। यहां के लोगों ने शिक्षा को तबज्जो दी। सेवा के लिए चिकित्सकीय पेशा अपनाया। धीरे-धीरे यहां के कई युवाओं ने बीयूएमएस, बीएएमएस से लेकर एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर ली। आधा दर्जन बेटियां नर्सिंग कोर्स करके नौकरी कर रही हैं।
शिक्षा में प्रतियोगिता ने गांव को दो इंजीनियर भी दिए हैं। यही जागरूकता कोरोना से बचाव में अचूक अस्त्र बना है। गांव की आबादी 1200 है। जिसमें डॉक्टरों की संख्या 40 है। इंजीनियर 02, नर्सिंग कोर्स के 06 छात्र-छात्राएं हैं। जबकि इस गांव के 50 लोग विदेश में रहते हैं। कोरोना अवसरवादी वायरस है। ग्रामीणों को यही समझाने में गांव के चिकित्सक सफल हो गए। ग्रामीण जागरुक हुए तो वायरस को गांव में इंट्री नहीं मिल पाई।
कोरोना संबंधी नई-नई जानकारियां भी ग्रामीणों से शेयर की जाती हैंै। उनके अलर्ट होने से कोरोना दूसरी लहर में भी हार गया। डाक्टर बता रहे हैं कि घर में रहने से वायरस की चेन टूटेगी। गांव के लोगों के मुताबिक वह एक माह से घर पर ही हैं। घर में सब स्वस्थ रहेंगे तो ठीक रहेगा। कमाकर भी क्या करेंगे, जबकि मरीजों को रुपये रहने पर भी बेड व आक्सीजन नहीं मिल रही है। ग्रामीण अलर्ट हैं। डॉक्टर अपना काम कर रहे हैं। सैनिटाइजेशन कराया जा रहा है।
चौतरफा प्रयास के कारण ही गांव कोरोना संक्रमण से महफूज है। उम्मीद है कि गांव सुरक्षित ही रहेगा। जागरूकता से ही ग्रामीण लड़ाई जीत पा रहे हैं। भीड़ कंट्रोल करने को सरकार को बंदी करनी पड़ रही है। यहां लोग घर से निकलना पसंद नहीं कर रहे हैं। जरुरत पड़ने पर निकले, फिर अंदर। कुछ ग्रामीण अपनी दुकान पर भी पूरी सावधानी के साथ बैठ रहें हैं ताकि लोगों की जरुरतें पूरी कर सकें और ग्रामीणों को बाजार न जाना पड़े।