चित्रकूट । चित्रकूट की जिला जेल में शुक्रवार 14 मई की सुबह दो कैदियों की हत्या और हत्यारे के मुठभेड़ में मारे जाने के मामले की न्यायिक जांच के आदेश हो गए हैं। जिला जज ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) अरुण कुमार यादव को जांच अधिकारी नामित करते हुए एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। अब माना जा रहा है कि घटना से जुड़े राज सामने आ सकेंगे। जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने बताया कि जेल प्रशासन ने गैंगवार व मुठभेड़ की न्यायिक जांच के लिए जनपद न्यायाधीश को पत्र लिखा था, जिस पर जिला जज ने आदेश कर दिए हैं।
बता दें कि घटना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काफी नाराज थे और तीन सदस्यीय अफसरों की टीम से जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट के आधार पर जेल अधीक्षक श्रीप्रकाश त्रिपाठी, जेलर महेंद्रपाल समेत हेड वार्डन हरीशंकर राम, वार्डन संजय खरे और एक पीएसी जवान को निलंबित कर दिया था। लेकिन जेल में पिस्टल कहां से कैसे आई और किसने पहुंचाई, यह अभी तक राज है। न्यायिक जांच में इसका राजफाश होने की उम्मीद है।

पांचवें दिन भी डीआइजी ने खंगाले साक्ष्य जेल प्रशासन की जांच अभी तक खत्म नहीं हुई है। घटना के बाद से प्रयागराज डीआइजी जेल संजीव त्रिपाठी चित्रकूट में डेरा डाले हैं। मंगलवार को भी वह दिन भर जेल में रहे। उन्होंने एक बार फिर निलंबित अधिकारियों व बंदियों से अलग-अलग बात की, वहीं पुराने अभिलेख भी खंगाले।
बता दें कि जिला जेल में बीते शुक्रवार को पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी के शार्प शूटर अंशु दीक्षित ने उसके रिश्ते के भांजे मेराज अली और कैराना पलायन के मुख्य आरोपित मुकीम काला को गोलियों से भून दिया था। इसके बाद पुलिस ने अंशू को भी मुठभेड़ में मार गिराया था। दो घंटे तक जेल युद्ध का मैदान बनी थी और करीब 50 राउंड गोलियां चली थीं। यह मामला काफी चर्चा में रहने के कारण उप्र सरकार इस मामले में कड़ाई से जांच करा रही है।