Datia News : दतिया। शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 7 अक्टूबर गुरुवार से होने जा रहा है। जिले के दो प्रसिद्ध माता मंदिरों पर व्यापक तैयारियां की गई है। शक्ति स्वरूपा के स्थल पीतांबरा शक्ति पीठ और रतनगढ़ माताजी मंदिर पर नवरात्रि को लेकर अनेक नियम व पहुंच मार्गों में बदलाव किए गए है।
इसीके साथ सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही कोरोना गाइड लाइन पर भी मंदिर ट्रस्ट व जिला प्रशासन ध्यान केंद्रित है। पीतांबरा शक्ति पीठ के प्रशासक तथा माता रतनगढ़ मंदिर के महंत के अनुसार गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
प्रशासन ने दोनों ही माता मंदिर पर व्यापक सुरक्षा इंतजाम के साथ भी कई सुविधाओं यहां आने वाले श्रद्धालुओं को दी जा रही है।
रतनगढ़ माता मंदिर पहुंचने के लिए इस बार पुल टूटा होने के कारण श्रद्धालुओं को 60 किलोमीटर अतिरिक्त घूमकर जाना पड़ेगा, यह एक कष्टप्रद िस्थति इस बार नवरात्रि में पहली बार देखने को मिलेगी।
नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और उपासना की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि पर मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के दिनों में पीतांबरा व रतनगढ़ माता रानी के भक्त मां की विशेष कृपा पाने के लिए ब्रत भी रखते हैं। शारदीय नवरात्रि का पर्व 07 अक्टूबर गुरूवार से से आरंभ होगा। जो 15 अक्टूबर को विसर्जन के साथ समाप्त होगा।
गुरूवार को घटस्थापना का समय सुबह 9.33 से 11.31 बजे तक रहेगा। इसके अलावा दोपहर 3.33 से शाम 5.05 के बीच भी घट स्थापना की जा सकेगी। शहर में जगह-जगह घट स्थापना के साथ ही माता रानी के पंडाल सजाए जाने लगे है।
शारदीय नवरात्रि को लेकर पुलिस विभाग ने पीतांबरा पीठ मंदिर की खास सुरक्षा व्यवस्था की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए पीतांबरा पीठ पर तैयारी की गई है।
इसके साथ मंदिर के उत्तर व दक्षिण तथा वीआईपी द्वार की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से पुलिस के हाथों में रहेगी। पीतांबरा मंदिर ट्रस्ट ने भी दो साल बाद मंत्र दीक्षार्थियों के लिए आवास एवं भोजन व्यवस्था कुछ नियमों के साथ फिर से शुरू कर दी गई है। इस दौरान पीठ पर शतचंडी पाठ का ही आयोजन होगा।
बाहर से आने वाले साधकों को दिखाना होगी जांच रिपोर्ट
पीतांबरा मंदिर ट्रस्ट ने कोरोना के कारण विगत 2 वर्षों से हवन तथा आवासीय व भोजन व्यवस्था को बंद कर रखा था। इस नवरात्रि में यहां आकर साधना करने वालों के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट व वैक्सीनेशन के दोनों डोज लगाए जाने का प्रमाण पत्र जरुरी किया गया है। मंत्र दीक्षार्थी के लिए मंदिर में ही खाने और रहने की आवास उपलब्ध रहेगा।
पुल नहीं होने से रतनगढ़ माता मंदिर की दूरी बढ़ी
रतनगढ़ माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को ज्यादा दूरी तय करना पड़ रही है। रतनगढ़ माता मंदिर पहुंचने के लिए अब श्रद्धालु अलग-अलग मार्गों से यहां पहुंच रहे है।
इसके लिए ग्वालियर से आने वाले श्रद्धालु बेहट मार्ग से जबकि इटावा, जालौन, उरई, भिंड आदि स्थानों से आने वाले लोग खमरौली (मंगरौल) के रास्ते से, झांसी, शिवपुरी, गुना, डबरा, पिछोर, दतिया आदि स्थानों से लोग देवगढ़ मार्ग से चितई मार्ग होते हुए रतनगढ़ माता मंदिर पहुंच सकेंगे।
सेवढ़ा से रतनगढ़ माता मंदिर तक जाने के लिए 27 किलोमीटर लहार की दूरी तय करके चितई मार्ग पर जाकर पहुंचना पड़ेगा। यहां से भी लगभग 60 किलोमीटर की दूरी अब रतनगढ़ माता मंदिर की हो गई है।
रतनगढ़ मंदिर की व्यवस्थाओं के बारे में महंत राजेश कटाने ने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए शासन ने पर्याप्त व्यवस्था की है। मंदिर के प्रवेश व निर्गम मार्ग अलग-अलग रखे गए है।
सुबह 7 बजे और रात 8 बजे आरती के दौरान मंदिर परिसर में दूर से माता के दर्शन किए जा सकते है। प्रसाद और नारियल के लिए अलग से व्यवस्था की गई है।
वहीं पीतांबरा पीठ के प्रशासक महेश दुबे ने बताया कि नवरात्रि के दौरान पीठ पर मंत्र दीक्षार्थी साधना करेंगे, 14 अक्टूबर तक शतचंडी पाठ भी होगा। मंत्र दीक्षार्थियों सहित आम श्रद्धालुओं को कोविड प्रोटोकाल का पालन भी करना होगा।
बड़ी माता मंदिर पर नहीं लगेगा मेला
नगर के प्रसिद्ध मंदिर विजयकाली पीठ पर भी नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं की खासी भीड़भाड़ रहेगी। अलसुबह से ही महिला श्रद्धालु माता के जलाभिषेक के लिए यहां पहुंचना शुरू हो जाएंगी। इसे देखते हुए मंदिर परिसर की सफाई और सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
इसके साथ ही इस बार भी कोरोना गाइड लाइन के चलते मेले का आयोजन स्थगित रखा गया है। फिलहाल प्रशासन द्वारा भी इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं।