पंजाब : CM भगवंत मान की पानी बचाने की अपील को राज्य के किसानों द्वारा मिला भरपूर समर्थन
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चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा मूँग की दाल की फ़सल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) देने के आश्वासन को राज्य के किसानों ने इस साल मूँग की दाल की कृषि के अधीन क्षेत्रफल दोगुना कर भरपूर प्रोत्साहन दिया। मौजूदा वर्ष में लगभग 97,250 एकड़ (38,900 हेक्टेयर) क्षेत्रफल में मूँग की दाल की कृषि हुई है, जबकि पिछले वर्ष 50,000 एकड़ क्षेत्रफल इस फ़सल के अधीन था। यहाँ बताने योग्य है कि मूँग की दाल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 7,275 प्रति क्विंटल है और यह पहल गेहूँ-धान की फसलों के दरमियान एक अन्य फ़सल बीजकर किसान की आमदन बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।

राज्य के कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार मानसा जि़ला 25,000 एकड़ (10,000 हेक्टेयर) में मूँग की दाल की बिजाई कर राज्य भर में अग्रणी रहा, जो राज्य में इस फ़सल के अधीन बीजे गए कुल क्षेत्रफल का 25 प्रतिशत बनता है। इसके बाद मोगा में 12,750 एकड़ (5100 हेक्टेयर) और लुधियाना में 10,750 एकड़ (4300 हेक्टेयर) क्षेत्रफल इस फ़सल की कृषि अधीन है। बठिंडा और श्री मुक्तसर साहिब जिलों में मूँग की दाल के अधीन क्षेत्रफल क्रमवार 9500 एकड़ (3800 हेक्टेयर) और 8750 एकड़ (3500 हेक्टेयर) है।

मुख्यमंत्री पहले ही मूँग की दाल की फ़सल का एक-एक दाना खऱीदने के लिए अपनी सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहरा चुके हैं। इसलिए यह शर्त होगी कि किसानों को मूँग की दाल काटने के बाद उसी खेत में धान की 126 किस्म या बासमती की बिजाई करनी पड़ेगी, क्योंकि यह दोनों फ़सलें पकने के लिए बहुत कम समय लेती हैं और धान की अन्य किस्मों के मुकाबले इनको बहुत कम पानी की ज़रूरत होती है।

कृषि विभाग के डायरैक्टर गुरविन्दर सिंह के मुताबिक दाल की फ़सल की जड़ों में नाईट्रोजन फिक्सिंग नोड्यूल होते हैं जो ज़मीन में नाईट्रोजन फिक्स करके ज़मीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाते हैं। यदि मूँग की दाल की फ़सल की उपज कम भी जाए तो भी नाईट्रोजन फिक्सिंग का लाभ अगली फ़सल को मिलता है। अगली फ़सल के लिए यूरिया की उपभोग सिफारिश की खाद की अपेक्षा 25-30 किलोग्राम प्रति एकड़ तक कम हो जाती है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों को वैकल्पिक फसलों को अपनाकर बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन पानी को बचाने की अपील की है। किसानों को धान की सीधी बिजाई (डी.एस.आर.) के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार किसानों को इस तकनीक से धान की फ़सल लाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1500 रुपए वित्तीय सहायता देने का ऐलान भी कर चुकी है।

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