संसद में केंद्रीय संचार मंत्री सिंधिया का स्पष्ट संदेश ‘संचार साथी’ ऐप नागरिकों की सुरक्षा के लिए, न स्नूपिंग संभव, न भविष्य में होगी

नई दिल्ली : लोकसभा में बुधवार को हुई चर्चा के दौरान केन्द्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संचार साथी ऐप की उपयोगिता, पारदर्शिता और नागरिक-सुरक्षा को लेकर विस्तृत स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह ऐप किसी भी प्रकार की snooping (निगरानी) का साधन नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक को मोबाइल पहचान की सुरक्षा का अधिकार देने वाला एक जनहित आधारित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है।

सिंधिया ने विपक्ष की शंकाओं का जवाब देते हुए कहा कि संचार साथी ऐप तभी सक्रिय होता है जब उपयोगकर्ता स्वयं इसे खोलते हैं और स्वैच्छिक रूप से रजिस्ट्रेशन करते हैं। “संचार साथी निगरानी नहीं, नागरिक सुरक्षा और जागरूकता का माध्यम है,” उन्होंने कहा।


फीडबैक आधारित सुधारों के लिए सरकार तैयार: अंतिम अधिकार नागरिक का — सिंधिया : सिंधिया ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में अंतिम अधिकार हमेशा नागरिक का है। यदि जनता किसी नियम में बदलाव चाहती है या फीडबैक देती है, तो विभाग उसे शामिल करने के लिए पूर्णतः तैयार है।

उन्होंने बताया कि संचार साथी के सभी प्रावधान जन-सुरक्षा और डिजिटल संरक्षण को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं, और सुधार की प्रक्रिया निरंतर जारी रहेगी।


जनभागीदारी ने दिए अभूतपूर्व परिणाम : सिंधिया ने सदन में संचार साथी की उपलब्धियाँ प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह देश का पहला ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जिसने नागरिकों को सीधे साइबर धोखाधड़ी और फर्जी मोबाइल कनेक्शनों की रोकथाम में भागीदार बनाया है। उन्होंने आँकड़े साझा किए—

  • 1.50 करोड़ से अधिक फर्जी मोबाइल कनेक्शन जनता की रिपोर्ट के आधार पर डिस्कनेक्ट किए गए
  • 26 लाख चोरी/गुम मोबाइल फोन ट्रेस हुए
  • 7 लाख से अधिक फोन नागरिकों को लौटाए गए
  • 41 लाख संदिग्ध कनेक्शन अतिरिक्त नागरिक इनपुट के आधार पर बंद
  • 6 लाख+ फ्रॉड-लिंक्ड IMEI ब्लॉक किए गए

उन्होंने कहा, “इस प्लेटफ़ॉर्म की वास्तविक शक्ति भारत के मोबाइल उपयोगकर्ता हैं। सरकार तकनीक देती है—लेकिन सफलता जनता की सहभागिता से आती है।”


ऐप पूरी तरह स्वैच्छिक, पारदर्शी और उपभोक्ता-अधिकार आधारित : सिंधिया ने जोर देकर कहा कि संचार साथी ऐप स्वतः सक्रिय नहीं होता और इसे उपयोग करना या हटाना नागरिक की इच्छा पर निर्भर है। उन्होंने कहा, “आपके फोन में जैसे सैकड़ों ऐप होते हैं, उसी तरह यह भी एक विकल्प है।

उपयोग करना चाहें तो करें, न करना चाहें तो कभी भी अनइंस्टॉल कर दें।” उन्होंने बताया कि यह ऐप फर्जी सिम की पहचान, चोरी हुए फोन को ट्रेस करने और साइबर धोखाधड़ी रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।


डिजिटल सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी, दुरुपयोग रोकना अनिवार्य : सिंधिया ने कहा कि भारत में एक अरब से अधिक मोबाइल उपभोक्ता हैं और फर्जी सिम, अवैध IMEI, धोखाधड़ी नेटवर्क तथा साइबर अपराध जैसी चुनौतियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में सरकार का कर्तव्य है कि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

उन्होंने कहा, “संचार साथी ऐप से न तो snooping संभव है और न ही कभी होगी। यह प्लेटफ़ॉर्म नागरिक सुरक्षा के लिए समर्पित है और आगे भी रहेगा।”

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