Datia News : दतिया। कृषि उपज मंडी में व्यापारियों की मनमानी के चलते किसानों ने दूसरे दिन मंगलवार को भी कम भाव में फसल खरीदने पर हंगामा किया। जिसके बाद तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर किसानों से बात कर मामला शांत कराया। उन्होंने गड़बड़ी करने वाले व्यापारियों के लाइसेंस निरस्त करने के निर्देश भी दिए। तब जाकर किसान मानें। इससे पूर्व सोमवार को भी किसानों ने उनकी उपज के कम देने को लेकर हंगामा किया था।
किसानों ने बताया कि इंदरगढ़ कृषि उपज मंडी में 30 से अधिक व्यापारी के लाइसेंस हैं। लेकिन व्यापारियों की मिलीभगत से दो से तीन व्यापारी बोली लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। मंगलवार को मंडी में 2 सैकड़ा से अधिक किसान ट्रेक्टर ट्राली लेकर सरसों व मटर की फसल लेकर पहुंचे थे।
मंडी की बोली 12 बजे शुरू हुई। तब सरसों का भाव 6600 रुपये प्रति क्विंटल था। लेकिन 1 घंटे बाद व्यापारियों द्वारा 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बोली लगाई गई। कम बोली लगते ही किसानों ने हंगामा खड़ा कर दिया एवं तहसील जाकर तहसीलदार का घेराव किया।
हंगामा बढ़ता देख पहुंचे तहसीलदार
इंदरगढ़ तहसीलदार सुनील भदौरिया किसानों के साथ मंडी पहुंचे। मंडी सचिव अनिल शर्मा से चर्चा की एवं व्यापारियों को भी बुलाया गया। लेकिन 8 से 10 व्यापारी ही मंडी में उपस्थित थे। तहसीलदार ने मंडी सचिव से कहाकि जो भी व्यापारी मंडी में बोली लगाने नहीं आए, उन व्यापारियों के लाइसेंस निरस्त किए जाएं हंगामे के बीच 2 घंटे तक बोली बंद रही।
सोमवार को भी व्यापारी से हुआ था विवाद
सोमवार को भी किसान एवं व्यापारियों के बीच विवाद हुआ था। जिसमें 2 घंटे तक बोली बंद रही थी। स्थानीय भाजपा नेता एवं तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर मामला शांत कराया था। वहीं किसानों का कहना है कि व्यापारियों की मनमानी के चलते किसान काफी परेशान हैं।
फसल बोने से लेकर मंडी फसल बेचने तक हम परेशान रहते हैं। बोवनी के टाइम हम सभी किसानों को 2 से 3 दिन तक खाद के लिए लाइन में खड़े होना पड़ता है। उसके बाद फसल की रखवाली के लिए दिन-रात खेत पर रहकर फसल की रखवाली करते हैं।
फसल कटने के बाद मंडी में व्यापारी मनमाने भाव में उपज खरीदते हैं। लेकिन प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई भी पहल नहीं की जाती।
जिसके कारण किसानों को अपनी उपज औने पौने दामों पर बेचना पड़ती है। किसानों का आरोप है कि कुछ व्यापारी सत्ताधारी नेता है तो कुछ दबंग। जो मंडी प्रशासन पर दबाव बनाकर मनमानी रेट में खरीदारी करते हैं।