लखनऊ : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत देश की छठी सेमीकंडक्टर इकाई को मंजूरी दी। यह इकाई उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) क्षेत्र में जेवर एयरपोर्ट के पास स्थापित की जाएगी। इसका उद्देश्य भारत को सेमीकंडक्टर उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना और तकनीकी रूप से वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ाना है।
एचसीएल-फॉक्सकॉन का संयुक्त उद्यम : यह संयंत्र देश की दो बड़ी तकनीकी कंपनियोंएचसीएल और फॉक्सकॉन के सहयोग से स्थापित किया जा रहा है। एचसीएल को हार्डवेयर विकास और उत्पादन का दशकों का अनुभव है, जबकि फॉक्सकॉन वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र की एक अग्रणी कंपनी है। यह संयोजन भारत के लिए सेमीकंडक्टर उत्पादन के क्षेत्र में विश्वसनीय और कुशल ढांचा तैयार करेगा।

संयंत्र की विशेषताएं और उत्पादन क्षमता : इस संयंत्र में डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण किया जाएगा, जिनका उपयोग मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, पीसी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले उत्पादों में होता है। संयंत्र की डिज़ाइन क्षमता 20,000 वेफर्स प्रति माह और आउटपुट क्षमता 3.6 करोड़ यूनिट प्रति माह तय की गई है। अनुमानित निवेश लगभग ₹3,700 करोड़ है।
सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और शिक्षा क्षेत्र में विस्तार : देशभर में सेमीकंडक्टर डिज़ाइन का दायरा बढ़ रहा है। 270 शैक्षणिक संस्थानों और 70 स्टार्टअप अब विश्वस्तरीय डिज़ाइन तकनीकों पर काम कर रहे हैं। इनमें से 20 से अधिक डिज़ाइन को एससीएल मोहाली द्वारा टेप आउट किया गया है, यानी वे सत्यापन और मान्यता के उन्नत चरण तक पहुँच चुके हैं।
राज्य सरकारें डिज़ाइन फर्मों को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं चला रही हैं। इससे एक तरफ नई प्रतिभाओं को अवसर मिल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र और मजबूत हो रहा है।

वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं की भारत में उपस्थिति : भारत में अब एप्लाइड मैटेरियल्स और लैम रिसर्च जैसे प्रमुख उपकरण निर्माता भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। इसके अलावा मर्क, लिंडे, एयर लिक्विड, आईनॉक्स जैसी गैस और रासायनिक आपूर्ति कंपनियां भी सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए तैयार हैं। यह संकेत देता है कि भारत अब इस क्षेत्र में वैश्विक आपूर्ति शृंखला का अभिन्न हिस्सा बनने की दिशा में अग्रसर है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में योगदान : भारत में मोबाइल, लैपटॉप, सर्वर, मेडिकल और रक्षा उपकरणों के विनिर्माण में तेजी से वृद्धि हो रही है। ऐसे में डिस्प्ले और सेमीकंडक्टर चिप्स की घरेलू मांग भी बढ़ी है। यह नई यूनिट इस मांग को पूरा करने के साथ-साथ देश के सेमीकंडक्टर आयात पर निर्भरता को भी कम करेगी।