वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम कार्यशाला: सीमांत गांवों में पलायन रोकने, रोजगार सृजन और सुरक्षा को मजबूत करने पर शाह का जोर

नई दिल्ली : केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम (VVP) कार्यशाला का उद्घाटन किया और कार्यक्रम के लोगो का अनावरण किया। इस अवसर पर गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार, गृह सचिव, सीमा प्रबंधन सचिव, आईबी निदेशक, सुरक्षा बलों के महानिदेशक तथा सीमावर्ती राज्यों के मुख्य सचिव और जिलाधिकारी उपस्थित रहे।


VVP का उद्देश्य: सीमाओं को सुरक्षा का उपकरण बनाना : अमित शाह ने कहा कि VVP का मूल विचार तीन बिंदुओं पर आधारित है—

  1. सीमांत गांवों से पलायन रोकना,
  2. नागरिकों तक सरकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ पहुँचाना,
  3. और गांवों को सीमा सुरक्षा का महत्वपूर्ण उपकरण बनाना।

उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर अंतिम गांव को “देश का पहला गांव” मानने की दृष्टि दी है, जिससे सीमावर्ती इलाकों को नई पहचान मिली है।


रोजगार और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा : गृह मंत्री ने कहा कि VVP के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, संस्कृति संरक्षण, पर्यटन विस्तार और रोजगार सृजन को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि:

  • हर सीमांत गांव में होम स्टे मॉडल को अपनाया जाए और राज्य सरकारें बुकिंग की व्यवस्था करें।
  • CAPFs और सेना की जरूरतों के लिए डेयरी कोऑपरेटिव बनाए जाएँ।
  • स्थानीय लोगों से दूध, सब्जी, अंडे और अनाज जैसी रोजमर्रा की चीजें खरीदने का मॉडल लागू किया जाए।

जनसांख्यिकीय बदलाव और अतिक्रमण पर चिंता : शाह ने कहा कि सीमावर्ती जिलों के कलेक्टरों को जनसांख्यिकीय बदलाव पर गंभीर नजर रखनी चाहिए क्योंकि यह सीमा सुरक्षा को प्रभावित करता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह केवल भौगोलिक कारण नहीं बल्कि एक “निश्चित डिजाइन” भी हो सकता है।
गृह मंत्री ने कहा कि सीमा से 30 किलोमीटर के दायरे तक सभी अवैध धार्मिक अतिक्रमण हटाए जाएं, जैसा गुजरात में किया गया है।


अरुणाचल का उदाहरण और आगे की दिशा : उन्होंने बताया कि अरुणाचल प्रदेश में VVP लागू होने के बाद सीमांत गांवों में आबादी बढ़ी है, जो सकारात्मक संकेत है। साथ ही उन्होंने कहा कि VVP-1 में प्रशासन कार्यक्रम तक सीमित रहा, लेकिन VVP-2 में प्रशासनिक दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता है।


 

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