आगरा : स्वच्छ भारत मिशन की प्रेरणा से आगरा नगर निगम ने “5R” यानी Reduce, Reuse, Recycle, Repurpose, Refuse सिद्धांतों पर आधारित एक अनूठी पहल शुरू की है, जिसने शहर की काया ही पलट दी है। इस पहल ने न केवल कचरे को नए रूप में उपयोग कर उसे “सुपरस्टार” बना दिया है, बल्कि सर्कुलर इकॉनमी को ज़मीनी स्तर पर सफल उदाहरण में बदल दिया है।
खुद कमाया 50 करोड़! – नगर निगम का म्युनिसिपल बॉन्ड मिशन : आगरा नगर निगम ने शहरी ढांचे के टिकाऊ विकास के लिए अपने पहले म्युनिसिपल बॉन्ड के माध्यम से 50 करोड़ रुपये जुटाए। यह इश्यू 3.5 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ, जिससे कुल 174 करोड़ रुपये की बोलियां प्राप्त हुईं। इसका उपयोग स्मार्ट और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में किया जाएगा—एक ऐतिहासिक कदम जिसने निवेशकों का विश्वास और सस्टेनेबिलिटी के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट की है।

कचरे से कला: SHG महिलाओं के हाथों बन रहे हैं थैले और उत्पाद : स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाएं अब पुनः उपयोग किए गए बैनर्स से सुंदर, उपयोगी थैले बना रही हैं। इससे न केवल प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली को बल मिल रहा है, बल्कि इन महिलाओं को आर्थिक आज़ादी और सम्मानजनक रोजगार भी प्राप्त हो रहा है।
Zero Waste Markets और SUP प्रतिबंध : आगरा के 9 प्रमुख बाजारों को “Zero Waste Market” घोषित किया गया है, जहां सिंगल यूज़ प्लास्टिक (SUP) पूरी तरह निषिद्ध है। यह कदम न केवल स्वच्छता की दिशा में अग्रसर है, बल्कि यह जागरूक उपभोक्ताओं और जिम्मेदार व्यापारियों के सहयोग का भी उदाहरण है।
नारियल के कचरे से आय: 4 TPD प्रसंस्करण इकाई : नगर निगम ने नारियल के कचरे को मूल्यवर्धित उत्पादों में बदलने के लिए एक 4 टन प्रतिदिन की प्रसंस्करण इकाई स्थापित की है। यहां नारियल के खोलों से कोकोपीट और कॉयर फाइबर बनता है, जिसका उपयोग बागवानी, नर्सरी और शहरी कृषि में होता है। SHG की महिलाएं इससे सस्टेनेबल रस्सियों जैसे उत्पाद भी बना रही हैं।

‘कायाकल्प अभियान’ और ‘स्वच्छ वसंत महोत्सव’ : पार्कों और सार्वजनिक स्थानों को वेस्ट टू वंडर थीम पर सजाया गया है—जैसे पुराने टायरों से बनी कलाकृतियां। इन प्रयासों ने न केवल सौंदर्य बढ़ाया है बल्कि स्वच्छता को रचनात्मकता से जोड़कर लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ा है।
यमुना की सफाई के लिए ‘प्लॉग रन’ जैसे सामुदायिक प्रयास : यमुना नदी के किनारे ‘प्लॉग रन’ जैसे अभियानों ने नागरिक भागीदारी को नई दिशा दी है। युवाओं, स्कूलों और स्थानीय संगठनों ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया है, जिससे स्वच्छता एक सामाजिक आदत बनती जा रही है।
कचरा अब समस्या नहीं, अवसर है : आगरा की यह 5R पहल देश के अन्य नगर निकायों के लिए एक प्रेरणास्रोत है। कचरे से ‘कंचन’ और ‘वंडर’ बनाने की इस सोच ने न केवल पर्यावरणीय जिम्मेदारी का परिचय दिया है, बल्कि एक सशक्त, सस्टेनेबल और आत्मनिर्भर शहरी भारत की नींव भी रखी है।