नई दिल्ली : संसद भवन परिसर में आयोजित एक विशेष सत्र में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 2023 बैच के प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भारतीय सेना राष्ट्र की सीमाओं की सुरक्षा में अग्रणी है, उसी प्रकार सिविल सेवा भारत के विकास की आधारशिला है।
उन्होंने कहा – हमें अपनी सेना के शौर्य, वीरता और विजन पर गर्व है। उसी तरह हमें भारतीय सिविल सेवकों की संवेदनशीलता, दृष्टि और समर्पण पर भी गर्व होना चाहिए।”
विकसित भारत के लक्ष्य को बनाएं जीवन मिशन
अध्यक्ष ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का सपना तभी साकार होगा, जब युवा अधिकारी प्रतिबद्धता, पारदर्शिता और जनसेवा के मूल्यों को अपने कार्य का केंद्र बनाएंगे।
उन्होंने प्रशिक्षुओं से आग्रह किया कि वे गरीबों, वंचितों और आदिवासी क्षेत्रों के लिए प्रभावी योजनाएं बनाएं और अंतिम व्यक्ति तक सेवाएं पहुँचाने का संकल्प लें।
तकनीकी दक्षता: प्रशासन का भविष्य
लोक सभा अध्यक्ष ने प्रशासनिक कार्यों में तकनीक के उपयोग की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने अधिकारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स और ई-गवर्नेंस जैसे डिजिटल टूल्स को अपनाने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा – प्रौद्योगिकी से सरकार और नागरिकों के बीच की दूरी कम होती है, निर्णय प्रक्रिया तेज होती है और लोक सेवा तंत्र अधिक प्रभावी बनता है।”
साथ ही, उन्होंने कॉन्टिन्यूअस स्किल डेवलपमेंट पर जोर देते हुए कहा कि बदलती तकनीकी दुनिया में निरंतर सीखना आवश्यक है।
लोकतांत्रिक आदर्शों के साथ संवेदनशील प्रशासन
अध्यक्ष महोदय ने कहा कि भारतीय सिविल सेवा को केवल आदेश देने वाली व्यवस्था नहीं, बल्कि जनकेंद्रित और संवेदनशील प्रशासन का मॉडल बनना चाहिए। उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत की एकता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सशक्त और मूल्य-आधारित प्रशासनिक ढांचा अनिवार्य है।
महिला अधिकारियों की रिकॉर्ड भागीदारी
ओम बिरला ने 2023 बैच में 73 महिला प्रशिक्षणार्थियों की ऐतिहासिक भागीदारी पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह सामाजिक समावेशिता की दिशा में बड़ा संकेत है और सिविल सेवा में विविधता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
प्रेरणा के मूलमंत्र: निष्ठा, विनम्रता और सेवा
अंत में, अध्यक्ष ने युवा अधिकारियों से निष्ठा, विनम्रता और दूरदर्शिता के साथ अपने कर्तव्यों के निर्वहन का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन में कार्यरत हर अधिकारी को प्रतिदिन आत्ममूल्यांकन करना चाहिए कि उनके कार्य समाज के कमजोर वर्गों के लिए कितना परिवर्तनकारी साबित हो रहे हैं।