zakir khan shayari in hindi
ज़िन्दगी से कुछ ज्यादा नहीं बास इतनी सी फरमाइश है , अब तस्वीर से नहीं, तफ्सील से मिलने की ख्वाइश है…
यूं तो भूले हैं हमें लोग कई, पहले भी बहुत से पर तुम जितना कोई उन्मे सें , कभी याद नहीं आया।
ये कुछ सवाल हैं जो सिर्फ क़यामत के रोज पूछूंगा , क्योंकि उससे पहले तुम्हारी और मेरी बात हो सके इस लायक नहीं हो तुम
मेरी औकात मेरे सपनों से इतनी बार हारी हैं के अब उसने बीच में बोलना ही बंद कर दिया है।
वो अगर हज़ार बार जुल्फें ना संवारे तो उसका गुजारा नहीं होता वैसे दिल बहुत साफ है उसका इन हरकतों का कोई इशारा नहीं होता